लखनऊ. विक्रम कोठारी को अनियमित तरीकों से दिए गए पांच हजार करोड़ के ऋण के मामले एनसीएलटी पर एक्शन में आ गया है. इस मामले एनसीएलटी यानि नेशनल कम्पनी लाॅ ट्रिब्यूनल ने 20 बीस फरवरी को कानपुर में कोठारी को एलओयू जारी करने वाले बैंकों के साथ बैठक बुलाई है. कोठारी को फायदा पहुंचाने वाले बैंक प्रबन्धन के बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने के लिए कोठारी कोे सेटलमेण्ट की मेज पर लाने के रास्ते तलाशने लगे हैं.

‘किंग आॅफ पेन’ के नाम से मशहूर रहे विक्रम कोठारी की मुश्किलें अगले दो तीन दिनों में और बढ़ सकती है और यदि जांच शुरू हुई तो उन बैंको के कुछ अफसर भी फंस सकते हैं जिन्होने कोठारी को पांच हजार करोड़ के ऋण एनपीए में बदलने दिए. कोठारी को कर्ज की भारी भरकम रकम उसकी सम्पत्तियों का अधिमूल्यन ओवर वैल्यूएशन करके दी गई थी. कोठारी की डूबती कम्पनी रोटोमैक ग्लोबल की रिस्टक्चरिंग के नाम पर अनाप शनाप कर्ज दिया गया और लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग भी जारी किए गए. मामले को संज्ञान मेें लेने वाले बैंक स्टाफ यूनियनों की एक नहीं सुनी गई और कर्ज की रकम 150 करोड़ से शुरू हुई थी वो लगभग पांच हजार करोड़ तक पहुंच गई.

कोेठारी पर जिन बैंकों पर बड़ी देनदारी है, उनमें से एक है बैंक आॅफ इण्डिया. कानपुर स्थित बैंक आॅफ इण्डिया के जोनल मैनेजर ने कोई भी अधिकारिक बयान करने से इनकार कर दिया. उन्होने स्वीकार किया कि बैंक आॅफ इण्डिया की 1395 करोड़ की रकम कोठारी की कम्पनियाॅ में डूबी पड़ी है और इसे वसूलने के लिए बैंक ने एनसीएलटी को केस रेफर कर दिया है.

15 मार्च से बैंक यूनियन हड़ताल पर
एनसीएलटी के अलावा अब बैंक यूनियन ने भी अब मुखर हो रही हैं. यूनीयनों की फेडरेशन ने 15 मार्च को राष्टव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है. जिसमें एनपीए एक मुद्दा होगा. यूनियन लीडर्स का कहना है कि चाहे यूपीए की सरकार रही हो अथवा मौजूदा एनडीए सरकार सभी ने एनपीए घोटालों पर पर्दा डाल रही हैं. यू​नियन नेताओं का कहना है कि विक्रम कोठारी घोटाले में लेटर आॅफ अण्डरस्टैडिंग के जरिए बैंकों को जमकर नुकसान पहुंचाया गया और ओवर वैल्यूशन के जरिए कोठारी को फायदा पहुंचाया गया.

वे ये भी आरोप लगाने से नहीं चूकते कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को सत्ता के दबाव में बड़े कारपोरेट घरानों को ऐसे एलओयू जारी करने पड़ते हैं और बाद में आरबीआई की गाईड लाईन का दिखावटी अनुपालन करने के लिए इसे बैंक की बैलेन्स शीट में प्राफिट से समायोजित किया जाता है. सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में जमा आम जनता की गाढ़ी कमाई का हजारों करोड़ रूपया घोटालेबाज पूॅजीपति निगल जाऐं और इसे ‘एनपीए’ का नाम देकर बैंकों की बैलेंस शीट में समायोजित कर दिया जाय, क्या देश के साथ ये सबसे बड़ा आर्थिक अपराध नहीं है. देश की जनता को एनपीए का सच समझना होगा और इसे आर्थिक घोटाले की शक्ल में ही देखना होगा.