भोपाल। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाला मामले ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं. इस घोटाले ने शिवराज सरकार की साख पर बट्टा लगाने का काम किया और सरकार की जमकर किरकिरी कराई.

सीबीआई से पहले व्यापमं घोटाले की जांच एमपी की स्पेशल टास्क फोर्स के पास थी. अब जब सीबीआई ने 592 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दिया है, तो STF की जांच पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सीबीआई की चार्जशीट में 245 नए आरोपी भी शामिल हैं, जिसमें कई बड़े और प्रतिष्ठित नाम हैं.

हैरान करने वाली बात तो ये है कि STF की जांच रिपोर्ट में जिन बड़े नामों का जिक्र तक नहीं था, उन लोगों पर ही अब सीबीआई ने घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या STF ने किसी दबाव में आकर इन नामों को बचाने की कोशिश की है.

सीबीआई ने आरोपियों तक पहुंचने के लिए करीब 10 लाख विद्यार्थियों के रिकॉर्ड खंगाले. जिसमें से 123 ऐसे स्कोरर्स थे, जिन्होंने एक्जामिनेशन फॉर्म में अपनी गलत जानकारी लिखी थी. वहीं व्यापमं घोटाले में दलालों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था. इन्हीं दलालों के साथ मिलकर मेडिकल कॉलेज के मालिक सरकारी कोटे से सीटों का सौदा करते थे.

सीबीआई के आरोपपत्र में 245 आरोपियों के नाम पहली बार शामिल किए गए हैं. पीएमटी 2012 घोटाला मामले में अब तक कुल 22 बिचौलियों, 46 परीक्षा निरीक्षकों, चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों और चार निजी मेडिकल कॉलेजों के 26 पदाधिकारियों के नाम सीबीआई की चार्जशीट में शामिल किए जा चुके हैं.