रायपुर- उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोयडा में एक दर्जन गायों की मौत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छत्तीसगढ़ से सीखने की नसीहत दी थी. प्रियंका गांधी का यह ट्वीट क्या यह संकेत दे रहा था कि चुनावी दहलीज पर खड़े उत्तरप्रदेश में भूपेश सरकार का माॅडल कांग्रेस की रणनीति का अहम हिस्सा बनेगा? अगले कुछ घंटों में इसका जवाब तब सामने आया, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने टीम भूपेश के भरोसेमंद चेहरे राजेश तिवारी को राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी. उन्हें प्रियंका गांधी के साथ अटैच कर चुनावी नजरिए से कांग्रेस पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती देने की कमान सौंपी गई. कांग्रेस आलाकमान का यह फैसला बताता है कि असम चुनाव में बीजेपी की किलेबंदी करते हुए कांग्रेस को मजबूत मुकाबले में खड़ी करने वाली टीम भूपेश उत्तरप्रदेश के चुनावी अभियान की अगुवाई कर सकती है.

राष्ट्रीय सचिव बनाए गए राजेश तिवारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संसदीय सलाहकार हैं. 15 बरसों तक राज्य की सत्ता में काबिज रही बीजेपी को उखाड़ फेंकने की रणनीति बनाने से लेकर उसे जमीनी स्तर तक क्रियान्वित करने वाले प्रमुख चेहरों में वह शामिल रहे हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के बस्तर जिले में बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए जमीन तैयार की है. क्षेत्रफल की दृष्टि से तब का बस्तर केरल से भी बड़ा रहा है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन की जड़ें जमाने में भूपेश बघेल के मजबूत हाथ रहे हैं.
बूूथों में कांग्रेस को किया मजबूत
देश में बीजेपी और कम्युनिस्ट पार्टिया ही रही हैं, जिन्हें कैडर बेस्ड पार्टी कहा जाता है. जबकि कांग्रेस माॅस बेस्ड पार्टी की पहचान रखती आई है. साल 2018 चुनाव के पहले जब राज्य में कांग्रेस लगभग खत्म मानी जा रही थी टीम भूपेश ने कांग्रेस को एक-एक बूथ तक पहुंचाया. यही वही समय था जब बीजेपी यह दावा करती रही कि राज्य में उसके 18 लाख कार्यकर्ताओं की विशाल फौज है. टीम भूपेश ने कांग्रेस संगठन के भीतर एक अनूठा प्रयोग किया. बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया. इससे न केवल संगठन मजबूत हुआ, बल्कि संगठन का विस्तार भी हुआ. कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने टीम भूपेश के चेहरों में प्रमुख रूप से राजेश तिवारी, विनोद वर्मा, सुरेंद्र शर्मा और बीजेपी से कांग्रेस में आई पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला शामिल थीं. प्रशिक्षण ने नतीजे दिए और सूबे में कांग्रेस ने इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाई. कांग्रेस आलाकमान ने इस जीत का सेहरा भूपेश बघेल के सिर बांधा और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया.
छत्तीसगढ़ के इस चुनावी फार्मूले को अब कांग्रेस अन्य राज्यों में भी लागू कर रही है. असम चुनाव के ठीक पहले आलाकमान ने न केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा, बल्कि युवा विधायक विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए असम कांग्रेस संगठन का प्रभारी सचिव नियुक्त किया. कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा बेहतर नतीजे मिले. टीम भूपेश ने असम चुनाव के लिए खास तरह की रणनीति तैयार की और मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया. बीते साल उत्तरप्रदेश कांग्रेस की एक बड़ी टीम छत्तीसगढ़ आई थी, तब टीम भूपेश ने ही संगठनात्मक संरचना को मजबूत किए जाने का प्रशिक्षण दिया था. राजेश तिवारी उस प्रशिक्षण के अहम चेहरे थे.