लंदन। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को रसातल पर ले जाने की जिम्मेदार मानी जा रही प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही एक बार फिर भारतीय मूल के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा सरगर्म हो गई है. अगर यह हकीकत में बदलता है तो आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि होगी. इसे भी पढ़ें : Liz Truss का प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा, दबाव के बीच महज 45 दिनों में छोड़ी कुर्सी

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पद से इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए ब्रिटेन की सत्तारुढ़ कंजरवेटिव पार्टी के भीतर चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को लिज ट्रस से हार का सामना करना पड़ा था. ऋषि सुनक की हार के पीछे रंगभेद को बड़ी वजह माना गया था. टोरी सदस्यों का मानना था कि ब्रिटेन अभी काले या भूरे व्यक्ति, जिसे ब्रिटेन में ‘कलर’ कहा जाता है, उसे प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए तैयार नहीं है.

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प्रधानमंत्री पद के लिए हुए सार्वजनिक बहस में ऋषि सुनक ने लिज ट्रस की मौद्रिक नीतियों की आलोचना करते हुए इसे ब्रिटेन के लिए गलत बताया था, लेकिन टोरी सदस्यों ने लिज ट्रस की नीतियों से ज्यादा उनके रंग पर तवज्जों देने का परिणाम यह हुआ कि लिज ट्रस के सत्ता संभालने के छह महीने के भीतर ही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था ‘विकसित’ से ‘एमर्जिंग मार्केट’ में तब्दील हो गई. अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश में लिज ट्रस को अपने वित्त मंत्री हो हटाना पड़ा, इसके बाद गृह मंत्री ने पद से इस्तीफा दे दिया. अंत में लिज ट्रस को भी इस्तीफा देना पड़ा है.

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हालांकि, यह बात के कयास दो दिन पहले से ही लगाए जाने लगे थे, जब टोरी सदस्यों पर ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट आधारित बाजार अनुसंधान और डेटा एनालिटिक्स फर्म ‘यू-जीओवी’ द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि यदि उन्हें फिर से मतदान करने का मौका मिलता है तो पार्टी के 55 प्रतिशत सदस्य ऋषि सुनक (42) को वोट देंगे, जबकि ट्रस को महज 25 प्रतिशत लोग वोट देंगे. साथ ही कहा गया कि ‘वेंस्टमिंस्टर में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह पाया गया है कि कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य, लिज ट्रस को नेता चुनने के सितंबर के अपने फैसले को लेकर अफसोस कर रहे हैं.

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