पवन दुर्गम, बीजापुर। मुख्यमंत्री प्रवास की तैयारियों के दौरान हादसे में अपनी जान गंवाने वाले रालापल्ली गांव के हरीश कोरम की मां इस्तारी कोरम के आंसू थम नहीं रहे हैं. चार महीने पहले ही अपने पति की मौत के बाद घटी इस घटना से इस्तारी सदमे में हैं. दुख की इस घड़ी में इस्तारी को ढाढस बंधाने के लिए न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचा और न ही कोई जनप्रतिनिधि.

मुख्यमंत्री के प्रवास की तैयारी में जुटे हरीश कोरम की शनिवार को टेंट लगाते समय करंट लगने से मौत हो गई थी. देर शाम को उसका शव उसके घर पहुंचा. इधर रविवार को जब मुख्यमंत्री की आम सभा शुरू हो रही थी, दूसरी ओर हरीश की अर्थी तैयार हो चुकी थी. दुख की इस घड़ी में सीएम प्रवास की तैयारियों में जुटा हरीश के परिवार की सुध लेने प्रशासन का कोई नुमाइंदा पहुंचा और ना ही राजनीतिक दल के कोई जिम्मेदार नेता.

बड़े भाई उमेश का कहना है कि हादसे के बाद परिवार को 50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता जरूर मिली, परंतु वह यह बताने में असमर्थ था कि आर्थिक सहायता राशि प्रशासन की तरफ से दी गई या जिस किराया भंडार में काम करता था उसके मालिक ने।

बहरहाल, हरीश की मौत को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन परिवार का दुख बांटने या उसकी मदद करते अपनी संवेदना किसी ने जाहिर नहीं की. हरीश की मां इस्तारी कोरम बेटे के मौत से गहरे सदमे में हैं. परिवार के बाकी सदस्यों का कहना था कि हरीश की अर्थी उठने के बाद से मां आंगन पर पड़ी करूण क्रंदन कर रही है. हरीश के जीजा बिच्मैया का कहना है कि परिवार में हरीश के गुजर जाने के बाद परिवार में अब तीन भाई ही रह गए हैं.

खेती-किसानी और मजदूरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा होता है. हरीश बारहवीं तक पढ़ा था, कोई नौकरी नहीं मिली तो बीजापुर जाकर मजदूरी करता था. जो पैसे मिलते थे, घर खर्च में देता था. परिवार की माली हालत का हवाला देते बिच्मैया ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि हरीश सीएम कार्यक्रम का हिस्सा था. कम से कम यह सोचकर ही सही प्रशासन, जिम्मेदार नेता दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़े हो. परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए. माली हालत के मद्देनजर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की गुहार भी उसने लगाई है.

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