कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में आज राज्य सरकार की ओर से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में अजीबोगरीब मामला सामने आया है. राज्य सरकार के जवाब में यह बात सामने निकलकर आई है कि कोरोना की पहली लहर में छोड़े गए 4500 कैदियों में से 22 कैदी फरार हो चुके हैं, यानी 22 कैदियों का अब तक कोई पता नहीं लग पाया है. जिसका खुलासा खुद राज्य सरकार ने किया है.

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रिपोर्ट में बताया गया कि 4500 कैदियों में से 1536 कैदी अब तक जेल वापस नहीं पहुंचे हैं. जेल डीजी ने जवाब देते हुए कहा कि साढे चार हजार छोड़े गए कैदियों में से 47 कैदियों की मौत हो चुकी है. जबकि 22 कैदी फरार है. हालांकि सरकार की तरफ से यह बात नहीं बताई गई है कि 22 फरार कैदी किस-किस जेल से लापता हैं . वहीं 47 कैदियों की मौत के मामले में भी अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है कि इनकी मौत आखिर किन कारणों से हुई है.

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ऐसे में अब सवाल उठता है कि 22 फरार कैदी किस प्रवृत्ति के थे, इन पर कितना गंभीर आरोप था और यह फरार आरोपी बाहर रहते हुए समाज को कितना नुकसान पहुंचा सकेते हैं. दरअसल आज हाईकोर्ट में स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से यह जवाब पेश किया गया था.

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गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद होने पर हाईकोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था. जेलों में कोरोना संक्रमण न फैले इसलिए हाईकोर्ट ने कैदियों की संख्या कम करने के लिए कई सुझाव दिए थे. इनमें 7 साल से कम सजा वाले अपराधों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का सुझाव भी शामिल था.

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