अमृतसर, पंजाब। ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज 38वीं बरसी है. अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया गया है. वहीं कार्यक्रम के दौरान खालिस्तान जिंदाबाद के नारे गूंज रहे हैं. यहां खालिस्तान समर्थक भी पहुंचे हुए हैं. ऑपरेशन में मारे गए लोगों के परिवारजन भी आए हैं. हजारों की तादाद में संगत दरबार साहिब में माथा टेकने आ रही है. यहां अखंड पाठ का भोग डाला जाएगा. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारी और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह कुछ लोगों को सम्मानित भी करेंगे. इसके बाद ज्ञानी हरप्रीत सिंह कौम के नाम संदेश भी जारी करेंगे.

सीएम भगवंत मान ने 2 दिन पहले की थी समीक्षा बैठक

इससे पहले शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी (जिसे घल्लूघारा दिवस के नाम से भी जाना जाता है) से पहले राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की थी. पुलिस और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें 6 जून से पहले राज्यभर में व्यापक सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा. अब राज्य में हाई अलर्ट जारी है. गोल्डन टेंपल तक आने-जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. कैंपस के अंदर SGPC की ओर से भी अपनी टास्क फोर्स तैनात की गई है. पंजाब पुलिस के महिला-पुरुष कर्मचारी सिविल कपड़ों में भी तैनात हैं, ताकि हर किसी पर नजर रखी जा सके और किसी भी अप्रिय घटना को होने से पहले ही रोका जा सके.

शांति भंग करनेवालों से सख्ती से निपटा जाएगा- सीएम भगवंत मान

सीएम भगवंत मान ने कहा कि किसी को भी किसी भी कीमत पर राज्य की मेहनत से अर्जित शांति भंग करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. मान ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार पंजाब को देश में एक शांतिपूर्ण और अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई भी शांति भंग करने की कोशिश करता हुआ पाया जाता है, तो उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य की प्रगति व समृद्धि में बाधा डालने वाली कुछ ताकतें शांति को पटरी से उतारने की लगातार कोशिश कर रही हैं. हालांकि, मान ने कहा कि उनकी सरकार इस तरह के किसी भी नापाक कदम को सफल नहीं होने देगी.

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केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी तैनात

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है और राज्य में शांति बनाए रखने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी लगाया गया है. पंजाबियों को राज्य में शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की भावना को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने पंजाब विरोधी ताकतों को काले दिनों में वापस ले जाने के उद्देश्य से उनकी सभी साजिशों को विफल करके सबक सिखाने का आग्रह किया. मान ने कहा कि पंजाब में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए राज्य सरकार कर्तव्यबद्ध है.

सिमरनजीत सिंह मान मौजूद, ध्यान सिंह मंड के भी आने की चर्चा

कार्यक्रम में सरबत खालसा के जत्थेदार ध्यान सिंह मंड के भी पहुंचने का चर्चा है. बीते कुछ सालों में ज्ञानी हरप्रीत सिंह के संदेश के बाद ध्यान सिंह मंड भी संदेश देने की कोशिश करते हैं, जिसके बाद SGPC और सरबत खालसा समर्थकों के बीच झड़प हो जाती है. गौरतलब है कि रविवार को दल खालसा की ओर से घल्लूघारा यादगार आजादी मार्च निकाला गया था. युवाओं ने बंदी सिखों की रिहाई की मांग भी इस दौरान दोहराई. संगठन के नेताओं कंवरपाल सिंह बिट्टू, हरपाल सिंह चीमा, परमजीत सिंह मंड, परमजीत सिंह टांडा ने संबोधित करते हुए कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार सिखों के लिए न भुलाई जाने वाली घटना है.

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1984 में खालिस्तानी आतंकियों को खत्म करने के लिए चलाया गया था ऑपरेशन

इंदिरा गांधी ने 1 जून 1984 के दिन अमृतसर को सेना के हवाले कर दिया और ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया. इस ऑपरेशन को मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार को सौंपी गई थी. सेना की 9वीं बटालियन गोल्डन टेम्पल की ओर बढ़ी. इसके 3 जून को पाकिस्तान से लगी सीमा को सील कर दिया गया. ऑपरेशन के दौरान मंदिर परिसर में रह रहे लोगों को बाहर आने के लिए कहा गया, लेकिन 5 जून तक 7 बजे तक सिर्फ 129 लोग ही बाहर आए. 5 जून, 1984 को शाम 7 बजे सेना की कार्रवाई शुरू हुई और रातभर दोनों तरफ से गोलीबारी हुई. 6 जून को सुबह 5 बज कर 20 मिनट पर ये तय किया गया कि अकालतख्त में छिपे आतंकियों को निकालने के लिए टैंकों को अंदर लाना होगा. इस ऑपरेशन से अकालतख्त को बहुत नुकसान हुआ और 6 जून को भी सुबह से शाम गोली चलती रही. अंत में देर रात सेना को भिंडरावाले की लाश मिली और 7 जून की सुबह ऑपरेशन ब्लू स्टार खत्म हो गया.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार में 83 जवान और 492 लोग मारे गए थे

ऑपरेशन ब्लू स्टार में 83 सैनिक मारे गए थे, जिसमें 3 सेना के अफसर थे. इस दौरान 492 लोग मारे गए थे, जबकि 248 लोग घायल हुए थे. उस समय पंजाब को भारत से अलग कर ‘खालिस्तान’ राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी, इसलिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था.