बिलासपुर. (Lalluram Desk). वन सेवा परीक्षा के पैदल चाल परीक्षण में हुई भारी गड़बड़ी के बाद नियुक्ति दिए जाने के आदेश को नहीं माने जाने पर हाई कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को अदालत की अवमानना पर नोटिस थमाया है. राज्य वन सेवा परीक्षा में चयनित एसीएफ एवं रेंजर उम्मीदवारों को नियुक्ति पूर्व पैदल चाल कराया गया था, जिसमें 4 घंटे में 26 किमी की दूरी पूरी करनी थी. लेकिन देखा गया कि आयोजन स्थल में भारी अव्यवस्था के बीच कई उम्मीदवार तय दूरी 4 घंटे कुछ मिनट में पूरी तो कर चुके थे. इसे भी पढ़ें : स्वाइन फ्लू से इस जिले में हुई एक मरीज की मौत, मरने वालों की संख्या 9 तक पहुंची…

वन मंत्री केदार कश्यप ने अभ्यर्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सभी प्रभावित उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी थी. इस निर्णय के विरुद्ध प्रतिक्षा सूची के उम्मीदवार योगेश बघेल, मधुसूदन मौर्य, नीतीश ओगरे, घनश्याम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई के बाद 8 मई को कोर्ट ने सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि पैदल चाल रेंजर भर्ती के लिए अनिवार्य अहर्ता नहीं है, तथा चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया.

इस आदेश के विपरीत अपर मुख्य सचिव ने पूर्व में जारी सारे आदेशों को ताक पर रख कर चयनित उम्मीद्वारों को नियुक्ति न दे कर प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को मौका देने का निर्णय ले लिया, जिससे हाई कोर्ट ने 8 अगस्त को अपर मुख्य सचिव को कोर्ट की अवमानना का नोटिस थमा दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने पूर्व में पेश याचिका वापस लेने भी कहा, जिससे योगेश बघेल व अन्य ने 9 अगस्त को याचिका वापस ले ली.

पीसीसीएफ एवं तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने यह माना कि पैदल चाल का आयोजन आदर्श बेहतर माहौल में नहीं किया गया था. पीसीसीएफ ने पैदल चाल के समय हुई गड़बड़ी को स्वीकार करते हुए कहा कि पैदल चाल का आयोजन खेल मैदान स्टेडियम में नहीं, अपितु नवा रायपुर के खुले रोड में किया गया था.

इस तिथि को कार्य दिवस होने के कारण नया रायपुर स्थित राजधानी के मंत्रालय, संचालनालय एवं विभाग प्रमुख कार्यालयों के समस्त कर्मचारी अधिकारियों का आवागमन एवं शासकीय वाहनों का आवागमन पैदल चाल के लिए निर्धारित मार्ग में होने के कारण और आयोजन दिनांक को अत्यधिक गर्मी के कारण कुछ अभ्यर्थियों के पैरों में मोच, मांस पेशियों में खिंचाव आ गया. वहीं रक्तचाप बढ़ने के कारण से कुछ अभ्यर्थी समय पर पैदल चाल पूर्ण नहीं कर पाए. इसके अलावा पैदल चाल कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, इसमें किसी प्रकार के मार्क्स नहीं मिलते, अतः पैदल चाल के कारण नियुक्ति से वंचित करना उचित नहीं होगा.