विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सुनियोजित विकास के लिए इनको मास्टर प्लान के तहत बसाने की व्यवस्था विकास प्राधिकरणों के अफसरों को करने के लिए कहा गया है. आदेश दिए हुए लगभग 4 महीनों से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अभी तक इस विषय पर अधिकारियों की हीलाहवाली शहरों के सुनियोजित विकास पर धब्बा ही लगा रही है. प्रदेश में फिलहाल 27 शहरों के विकास प्राधिकरण की वजह से इनका सुनियोजित विकास का खाका नही खिंच पा रहा है.
इतना ही नहीं, मास्टर प्लान के तहत शहरों की बसाहट के साथ अवैध प्लॉटिंग और निर्माण पर भी वैधानिक कार्रवाई नहीं हो पा रही है. जिससे कि शहर का मूल स्वरूप दिनों दिन बिगड़ता जा रहा है. शासन ने इस पर नाराजगी जताई है और निर्देश दिया है कि इसी महीने इस मास्टर प्लान को शासन को भेजा जाए. केंद्र सरकार की योजना के तहत संचालित कार्यक्रम अमृत योजना में 59 शहरों का जीआईएस बेस्ड महायोजना 2031 को तैयार कर प्लान जारी किया जाना सुनिश्चित है. जबकि ज्यादातर शहरों मास्टर प्लान जारी हो चुका है या अंतिम रूप में है.
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जमकर लगी क्लास
अपर मुख्य सचिव आवास की अध्यक्षता में मास्टर प्लान को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई गई थी. इसमें बागपत-बड़ौत-खेकड़ा, आगरा, रामपुर, बांदा, कानपुर, उन्नाव-शुक्लागंज, गाजियाबाद, प्रयागराज, झांसी, मुजफ्फरनगर शहर के मास्टर प्लान पर चर्चा हुई. इसी तरह पश्चिमी यूपी से लगाये पूरब तक के शहर चंदौसी, हरदोई, हाथरस, कासगंज, एटा, जौनपुर, इटावा, फतेहपुर, फर्रुखाबाद-फतेहगढ़, बदायूं, सीतापुर, गोंडा, सुलतानपुर, मैनपुरी, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और बहराइच विनियमित क्षेत्र के मास्टर प्लान की प्रगति की जानकारी ली गई. जिस पर कि अधिकारी ने ये पाया कि जिलों में अधिकारियों की हीलाहवाली से कार्यक्रम में देरी हो रही है. जिसके बाद अधिकारी ने निर्देशित कर कार्यक्रम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही इसी महीने तक मास्टर प्लान को शासन को उपलब्ध करवाने के लिए भी आदेशित किया है
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