कर्ण मिश्रा. ग्वालियर. Mahatma Gandhi Death Anniversary 2025: आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. आज ही के दिन उनकी हत्या की गई थी. महात्मा गांधी की हत्या की साजिश ग्वालियर में रची गई थी. आइए जानते हैं गांधी और गोडसे से जुड़ी कुछ खास बातें…

देश के लिए महात्मा गांधी की शहादत 30 जनवरी 1948 को हुई थी. महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में आकर गांधी जी की हत्या का षड्यंत्र रचा था. उस दौर में ग्वालियर हिंदू महासभा का मजबूत गढ़ था. यही वजह है कि महात्मा गांधी की हत्या की प्लानिग और रिहर्सल के लिए नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर को चुना था.

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज का दावा है कि नाथूराम गोडसे सहित चार लोगों ने मिलकर महात्मा गांधी की हत्या के लिए प्लानिंग की थी. ग्वालियर में उन्हें सिंधिया राजवंश के एक अफसर से पिस्टल मुहैया कराई गई थी तो वहीं स्वर्णरेखा नदी के किनारे गोडसे ने पिस्टल चलाने की रिहर्सल भी की थी.

दिल्ली में 30 जनवरी 1948 की शाम 5 बजे महात्मा गांधी प्रार्थना सभा के लिए रवाना हुए थे. फौजी की तरह वर्दी पहनकर नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे जनता की भीड़ में शामिल हो गए. महात्मा गांधी प्राथना के लिए जा रहे थे. उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने सामने आकर महात्मा गांधी के पैर छुए और उसके बाद पिस्टल से एक के बाद एक तीन फायर कर दिए. गोडसे की पिस्टल से निकली तीनों गोलियां महात्मा गांधी के शरीर में जा धंसी. खून से लथपथ महात्मा गांधी को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली का कहना है कि गोडसे ने जिस ग्वालियर में हिंदू महासभा की मिलीभगत से गांधी जी की हत्या की तैयारी की थी. उस जगह आज भी गोडसे की विचारधारा जिंदा है. गांधी की हत्या के वर्षों बाद भी कभी गोडसे की जयंती मनाने तो कभी मंदिर बनाने की कोशिशें होती रही है.

महात्मा गांधी की हत्या के फौरन बाद नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया. महात्मा गांधी की हत्या के बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जहां नाथूराम गोडसे और उनके साथियों को महात्मा गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया. आखिर में 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को अंबाला जेल में ही फांसी पर लटकाया गया.

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