रायपुर/ बिलासपुर. करंट से दो मासूमों की मौत को गंभीरता से लेते हुए अवकाश के दिन शनिवार को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में इसकी सुनवाई की चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने ऐसी घटनाओं को रोकने रोडमैप बनाने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 22 सितंबर को निर्धारित की है. पहली घटना में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के करगीकला गांव में 6 साल के बच्चे की खेत के पास खेलते हुए करंट लगने से मौत हो गई थी.
दूसरी घटना कोंडागांव जिले की है. ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव की करंट की चपेट में आने से जान चली गई थी. दोनों घटनाओं को हाईकोर्ट ने गंभीर मानते हुए शनिवार के दिन सुनवाई की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी ने कहा कि राज्य में खेतों की सुरक्षा के लिए लगाए गए बाड़ पर बिजली का करंट लगाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसके कारण इनसान ही नहीं मवेशियों और वन्यजीवों की भी मौतें हो रही हैं. बरसात के मौसम में ऐसे मामले और भी बढ़ जाते हैं. पानी भरने से पूरा इलाका करंट की चपेट में आ सकता है.


सरकार की कार्रवाई
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी. इसके कुछ घंटों के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पीएस एल्मा ने सभी जिलों के कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारियों को चिट्ठी लिखी. आंगनबाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष तक के छोटे बच्चे रोजाना आते हैं. माता-पिता उन्हें सुरक्षित मानकर भेजते हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है. इसलिए विभागीय अधिकारियों, कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी का यह दायित्व है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में केंद्रों का गहन निरीक्षण करें और सुरक्षा की पूरी गारंटी दें.