लखनऊ। बिहार चुनाव के बीच भोजपुरी के दो अभिनेता आमने सामने आ गए हैं। गोरखपुर से बीजेपी सांसद व अभिनेता रवि किशन ने छपरा से आरजेडी प्रत्याशी और भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव पर जोरदार हमला किया और उनका नाम लिए बिना निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों ने भोजपुरी को बेच दिया। उनसे पूछना चाहिए कि आज भोजपुरी सिनेमा का ये हाल किसने किया ? भोजपुरी सिनेमा में सनातन का नाम लेकर भोजपुरी सिनेमा में सब कुछ किया कमाया खाया.. आज भोजपुरी इंडस्ट्री बंद हो गया है।
भोजपुरी इंडस्ट्री बंद क्यों हो गई
भोजपुरी इंडस्ट्री को जो हम राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवा कर चले थे, इन लोगों को मशाल दिए और हम सदन में क्या चले गए इन लोगों ने भोजपुरी इंडस्ट्री को बेच दिया। इन लोगों से पूछना चाहिए कि भोजपुरी इंडस्ट्री बंद क्यों हो गई, क्यों काम बंद हो गया? जहां मेरी फिल्में उसी छपरा और पूरे बिहार में सिल्वर जुबली करती थी। वहां आज एक दर्शक नहीं है। उसका कारण कौन है? किसने भोजपुरी को बदनाम किया? किसने भोजपुरी की ये हालत की ? आज वो लोग जवाब दें ?
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भोजपुरी सिनेमा किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं
इस बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एवं युवा रंगकर्मी अंकित सिंह यादव ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुये कहा की रवि किशन जैसे कलाकार जो खुद वर्षों तक भोजपुरी फिल्मों में दोहरे अर्थ वाले संवाद और सस्ती मनोरंजन संस्कृति को बढ़ावा देते रहे, आज वही किसी और को संस्कार सिखा रहे हैं, यह दोहरापन है। भोजपुरी सिनेमा किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं है, यह पूरे पूर्वांचल और बिहार-उत्तर प्रदेश की अस्मिता का प्रतीक है।
भोजपुरी कलाकारों का अपमान
यादव ने कहा कि भोजपुरी सिनेमा को खत्म करने की बात करने वाले नहीं, बल्कि उसे राजनीति का मंच बनाकर बदनाम करने वाले असली दोषी हैं। खेसारी लाल यादव आज उस युवा पीढ़ी की आवाज हैं जो मेहनत से मुकाम तक पहुंची है। उन पर धर्म विरोधी होने का आरोप लगाना न केवल असत्य है बल्कि भोजपुरी कलाकारों का अपमान भी है।
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष यादव ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भोजपुरी संस्कृति को भाजपा ने सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। जो लोग संस्कृति की बात करते हैं, उन्हें पहले अपने शब्दों में शालीनता और व्यवहार में मर्यादा लानी चाहिए। उन्होंने अंत में कहा कि कांग्रेस पार्टी भोजपुरी कलाकारों, साहित्यकारों और सांस्कृतिक कर्मियों के साथ खड़ी है। हम भोजपुरी भाषा और कला को किसी राजनीतिक स्वार्थ का साधन नहीं बनने देंगे।
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