लखनऊ. बीते 15 दिसंबर को एक कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम महिला का हिजाब खींचा था. इसे लेकर लगातार बयानबाजी और सियासत हो रही है. इस बीच यूपी की पूर्व सीएम और बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस विषय को तुल दिए जाने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंनो सोशल मीडिया पर लंबा चौड़ा पोस्ट कर इस हरकत पर आपत्ति जताई है. इसके अलावा उन्होंने काथावाचक पुण्डरीक गोस्वामी को सलामी दिए जाने और विधानसभा से शीतकालीन सत्र को लेकर भी प्रतिक्रिया जारी की है.
मायावती ने एक्स पर लिखा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा, डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण के सार्वजनिक कार्यक्रम में एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब (चेहरे का नकाब) हटाने का मामला सुलझने की बजाय, ख़ासकर मंत्रियों आदि की बयानबाजी के कारण, विवाद का रूप लेकर यह लगातार तूल पकड़ता ही जा रहा है, जो दुखद और दुभाग्यपूर्ण है. मायावती ने आगे लिखा कि यह मामला पहली नजर में ही महिला सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा होने के कारण मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप से अब तक सुलझ जाना चाहिये था. खासकर तब जब कई जगहों पर ऐसी अन्य वारदातें भी सुनने को मिल रही हैं. अच्छा होगा कि मुख्यमंत्री इस घटना को सही परिप्रेक्ष्य में देखते हुए इसके लिए पश्चाताप कर लें और कड़वा होते जा रहे इस विवाद को यहीं पर खत्म करने का प्रयास करें.
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कथावाचक को सलामी देने पर मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला पुलिस द्वारा पुलिस परेड में, स्थापित परम्परा और नियमों से हटकर, एक कथावाचक को सलामी देने का मामला भी काफी बड़े विवाद में है और इसको लेकर सरकार कठघरे में है. पुलिस परेड और सलामी की अपनी परम्परा, नियम, मर्यादा, अनुशासन और पवित्रता है, जिसको लेकर खिलवाड़ कतई नहीं किया जाना चाहिए. यह अच्छी बात है कि यूपी के पुलिस प्रमुख ने इस घटना का संज्ञान लेकर जिला पुलिस कप्तान से जवाब तलब किया है. कार्रवाई का लोगों को इंतजार है. वैसे राज्य सरकार भी इसको गंभीरता से लेकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृति पर रोक लगाए तो यह पुलिस प्रशासन अनुशासन और कानून का राज के हक में उचित होगा.
शीतकालीन सत्र को लेकर बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ‘विधानसभा का संक्षिप्त सत्र भी पिछले सत्रों की तरह ही, जनहित और जनकल्याण के मुद्दों से दूर रहने के कारण सत्ता और विपक्ष के बीच वाद-विवाद में घिर गया है. बेहतर होता कि सरकार किसानों के खाद की समस्या के साथ-साथ जनहित की अन्य समस्याओं और जनकल्याण के प्रति गंभीर होकर संदन में इन पर जवाबदेह होती. इसके साथ ही, संसद का शीतकालीन सत्र भी, राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की भीषण समस्या सहित देश और जनहित की विकराल रूप धारण कर रही समस्याओं पर विचार किए बिना ही, कल समाप्त हो गया. जबकि पूरे देश की निगाहें लगी थीं कि सरकार और विपक्ष दोनों देश के ज्वलन्त समस्याओं पर विचार करेंगे और इससे कुछ उम्मीद की नई किरण पैदा होगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होना दुभाग्यपूर्ण’.
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मायावती ने कहा कि देश की चिन्तायें लगातार बरकरार हैं. इसके साथ-साथ, पड़ोसी देश बांग्लादेश में जो हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और वहां भी नेपाल की तरह भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं, वो भी चिन्तनीय स्थिति है, जिस पर भी केन्द्र सरकार समुचित संज्ञान लेकर दीर्घकालीन नीति के तहत कार्य करे तो यह उचित होगा.
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