Supreme court On Manikrao Kokate: मुख्यमंत्री आवास स्कीम के तहत फ्लैट घोटाले में फंसे महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और विधायक मानिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। देश के शीर्ष न्यायालय ने धोखाधड़ी मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोकाटे विधायक बने रहेंगे और विधानसभा से अयोग्य नहीं होंगे। हालांकि वे किसी भी ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ यानी लाभ के पद पर नहीं रह सकेंगे। मानिकराव कोकाटे पर दोषसिद्धि की लगी रोक से डिप्टी सीएम अजित पवार को भी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक मानिकराव कोकाटे पर धोखाधड़ी के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए शीर्ष अदालत ने साफ किया कि इस फैसले के चलते कोकाटे की विधानसभा सदस्यता खत्म नहीं होगी। उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोकाटे किसी भी ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ पद पर नहीं रहेंगे।

यह सुनवाई जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच के सामने हुई। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया दोषसिद्धि में “मौलिक त्रुटि” नजर आती है. सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि “आय की घोषणा न करना अपने आप में किसी दस्तावेज को जाली (फर्जी) नहीं बनाता। मानिकराव कोकाटे की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि जिस कथित अपराध का आरोप है, वह 1989 का है. उस समय कोकाटे न तो विधायक थे और न ही किसी संवैधानिक पद पर थे, बल्कि एक वकील के तौर पर काम कर रहे थे। रोहतगी ने अदालत में सवाल उठाया, “क्या 1989 में एक वकील 30 हजार रुपये नहीं कमा सकता?इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि पर फिलहाल इस हद तक रोक रहेगी कि उसके कारण विधानसभा की सदस्यता खत्म न हो।

क्या है पूरा मामला?

कोकाटे पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सरकारी योजना में झूठा हलफनामा दाखिल कर फ्लैट हासिल करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि आय की घोषणा न करना अपने आप में किसी दस्तावेज को जाली (फर्जी) नहीं बनाता। इस पर मानिकराव कोकाटे के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि जिस कथित अपराध का आरोप है, वह 1989 का है, उस वक्त कोकाटे न तो विधायक थे और न ही किसी संवैधानिक पद पर थे, बल्कि एक वकील के तौर पर काम कर रहे थे। कोकाटे के वकील कहा कि क्या 1989 में एक वकील 30 हजार रुपये नहीं कमा सकता?

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