इमरान खान, खंडवा। भगवान श्रीगणेश के प्रति आस्था और मन में उपजे भाव को जेल में कैद महिलाएं मिट्टी से आकार दे रही हैं. खंडवा जिला जेल के महिला बैरक में इन दिनों उत्साह का माहौल है. जेल में हुए नवाचार से जैसे महिला कैदियों के हुनर को पंख लग गए हैं. महिलाएं जेल में रहकर श्रीगणेश की मूर्तियां बना रही हैं. वे पर्यावरण के अनुकूल इन गणेश मूर्तियों को रचनात्मक तरीके से बनाने का आनंद ले रही हैं. उनकी मूर्तियों की मांग भी अब होने लगी है. जेल प्रशासन इको फ्रेंडली मूर्तियों का एक स्टाल भी लगाने जा रहा है.
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दरअसल, खंडवा की शहीद जननायक टंट्या भील जेल की महिला बैरक में 30 से अधिक महिला कैदी हैं. इन कैदियों को मानसिक तनाव से दूर रखने के लिए श्रीगणेश के उत्सव को देखते हुए नवाचार किया गया. जेल में महिलाओं को मिट्टी से श्रीगणेश की मूर्तियां बनाना सिखाया जा रहा है. आर्ट कला में पारंगत संगीत कालेज की शबनम शाह महिला कैदियों को गणेश मूर्तियां बनाना सिखाया रही है.
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शबनम शाह ने बताया कि पहले दिन केवल तीन महिला श्रीगणेश मूर्ति बनाना सीखने के लिए आगे आई थी, लेकिन अब 30 से अधिक बंदी महिलाएं मूर्तियां बना रही हैं. इनमें से अधिकांश बहुत ही अच्छे तरीके से मूर्ति बनाने लगी हैं. अब तक 50 से अधिक मूर्तियां महिलाओं ने बनाई है. यह सभी मूर्तियां इको फ्रेंडली हैं.
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शबनम ने बताया कि महिला बंदियों को श्रीगणेश मूर्ति बनाने के लिए किसी तरह का चित्र नहीं दिखाया गया है और ना ही श्रीगणेश की मूर्ति लाकर रखी गई है. जिसे देखकर वे हूबहू मूर्ति बना सकें, उन्हे केवल मिट्टी दी गई. इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे कुछ ही दिनों में मूर्ति बना दी. करीब एक फीट तक की मूर्तियां महिलाओं ने बनाई है. श्रीगणेश के अलग-अलग स्वरूपों को आकार दिया है.
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इस हुनर को निखारने में उनकी मदद जेल अधीक्षक ललित दीक्षित कर रहे हैं. उन्होंने महिलाओं को श्रीगणेश मूर्ति बनाने की मिट्टी और रंग उपलब्ध करवाया. कुछ ही दिनो में महिला बंदियों ने श्रीगणेश की 50 से अधिक मूर्तियां बना ली हैं. जेल में अब भी मूर्ति बनाने का काम चल रहा है. गणेश उत्सव पर इन मूर्तियों का स्टाल लगाया जाएगा. ताकि महिला बंदियों की कला को एक पहचान मिल सके. लोगो को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा सके.
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जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने बताया कि कैदियों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए यह प्रयास किया गया है. अक्सर जेल में रहते हुए कैदी घर का ख्याल आते ही मानसिक तनाव में आ जाते हैं. खासकर महिलाएं जेल की दैनिक दिनचर्या और घर की याद आने पर तनावग्रस्त हो जाती हैं. इसके लिए उन्हें मूर्ति बनाने की कला से पारंगत किया जा रहा है. ताकि वे यहां से छूटकर जाए तो इस कला से आजीविका चला सके. महिलाओं द्वारा बनाई गई मूर्तियों की मांग भी होने लगी है.
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