राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली संकट पर एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान सामने आया है. शिवराज सिंह ने कहा कि  बांध खाली होने से बिजली नहीं बन पा रही है. प्रदेश में 17-18 जिले ऐसे हैं, जहां अच्छी बारिश होती थी और जिनके कारण नदी बांध भरते थे, लेकिन वहां काम वर्षा हुई है. जिसके कारण वह खाली पड़े हैं. जिस कारण से बिजली भी नहीं बन पा रही है.

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये भी कहा है कि यह संकट का समय है. पहले कोरोना, बाढ, फिर सूखा और अब कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाएं कई जगह से आती जा रही हैं. इसलिए सावधान रहने की जरूरत है. लेकिन, मैं यह जानता हूं कि नेतृत्व की परीक्षा भी संकट के समय में ही होती है. हम कई कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ सूखे का संकट है, अल्पवर्षा भी हुई है. ग्वालियर, चंबल संभाग जहां काम वर्षा होती थी इस बार वह अतिवृष्टि का शिकार हो गया.

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वहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का भी बिजली संकट पर बयान सामने आया है. ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि बिजली की स्थिति के लिए प्राकृतिक संकट था. मप्र के कई डेम खाली हैं. कोयले का राष्ट्रीय स्तर पर संकट था, लेकिन अब ये संकट टल गया है.

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गौरतलब है कि कोयला कंपनी ने सरकारी भुगतान नहीं होने पर सप्लाई बंद कर दी है. वहीं सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन आधा हो गया है. सिंगाजी पावर प्लांट की 2400 MW में से 1200 MW की बिजली उत्पादन इकाइयां भी बंद हैं. जबकि संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है. फिलहाल प्रदेश में बिजली की जरुरत 10 हजार MW है, लेकिन 8 हजार ही उपलब्ध है. इन दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली का संकट और गहरा सकता है.

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