नई दिल्ली। कुत्ते के हमले की एक क्रूर घटना सामने आने के बाद भारतीय सेना ने दिल्ली कैंट के अंदर कम्युनिटी एरिया में क्रूर पालतू कुत्तों पर प्रतिबंध लगा दिया है. बल ने कहा है कि दिल्ली छावनी में सामुदायिक क्षेत्रों में रहने वाले रॉटवीलर, पिट बुल, अमेरिकन बुल डॉग, बुल मास्टिफ और जर्मन शेफर्ड को पालतू जानवरों के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी. स्टेशन मुख्यालय द्वारा जारी एक सर्कुलर में दिल्ली क्षेत्र ने एक अधिकारी के कुत्ते द्वारा दूसरे अधिकारी के बेटे पर क्रूर हमले का हवाला देते हुए रिहायशी इलाके में कुत्तों की 5 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने का कारण बताया.

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इसमें कहा गया है कि 29 दिसंबर 2021 को प्रताप चौक एरिया में रहने वाले एक सैन्य अधिकारी के 5 वर्षीय बेटे पर उसी मोहल्ले में रहने वाले एक अन्य सेवारत अधिकारी के कुत्ते (रॉटवीलर नस्ल) ने हमला किया था. हमला इतना क्रूर था कि उनके बेटे का चेहरा और सिर 6-7 सेंटीमीटर चौड़े गंभीर घावों से बुरी तरह घायल हो गया. आगे कहा गया है कि क्रूर कुत्तों की कुछ नस्लों को सामुदायिक क्षेत्रों में रहने वाले को अनुमति नहीं देने की सिफारिश की जाती है, जबकि बंगलों और स्वतंत्र घरों में गेट पर कुत्ते की चेतावनी के साथ विवेक की अनुमति दी जा सकती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पालतू कुत्ते परिसर से बाहर न जाएं. सामुदायिक रहने वाले क्षेत्रों के अंदर जिन नस्लों की अनुमति नहीं होगी वे- रॉटवीलर, पिट बुल, अमेरिकन बुल डॉग, बुल मास्टिफ और जर्मन शेफर्ड हैं.

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इसमें कहा गया है कि हाल ही में यह पता चला है कि जब कुत्ते के काटने की घटना हुई थी, कुत्ते के लिए हैंडलर मालिक (अधिकारी) नहीं बल्कि सैन्य दोस्त था. स्वाभाविक रूप से मालिक द्वारा प्रयोग किया जाने वाला आदेश सैन्य मित्र की तुलना में अधिक प्रभावी होगा.
इसमें आगे बताया कि यदि मामले में उल्लंघन पाया जाता है, तो कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यदि दोषी पाया जाता है, तो पालतू कुत्ते को सैन्य क्षेत्र से बाहर ले जाने की सिफारिश की जाएगी.

 

पालतू कुत्तों का टीकाकरण जरूरी

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि पालतू कुत्तों का टीकाकरण किया जाना चाहिए और पालतू जानवरों की गंभीरता/क्रूरता का आकलन आरवीसी प्रतिनिधि द्वारा किया जाना चाहिए. बाहर जाते समय पालतू कुत्तों को ठीक से पट्टा बांधना चाहिए. सूत्रों ने कहा कि ये निर्देश दिल्ली छावनी क्षेत्र के लिए जारी किए गए और इसके दायरे में देशभर के 62 छावनी बोर्डों के तहत आने वाले रिहायशी इलाकों को लाया जाएगा.