बलांगीर : बलांगीर की प्रसिद्ध सुलिया यात्रा आज से शुरू हो रही है। आदिवासी लोगों की परंपरा के अनुसार सुलिया पीठ (मंदिर) को पशु बलि के खून से रंगा जाएगा। सुलिया पूजा बलांगीर जिले के देवगांव ब्लॉक के खैरागुड़ा बड़खला और कुमुरियार सानखला में की जाएगी।
आदिवासी लोगों की मान्यताओं के अनुसार वे सुलिया पूजा में पशु और पक्षियों की बलि चढ़ाते हैं। हर साल पौष (ओडिया कैलेंडर) शुक्लपक्ष में पहले मंगलवार को सुलिया यात्रा निकाली जाती है। यह पूजा सुबह जल्दी की जाती है।
मुख्य पुजारी और देहुरी पूजा के लिए अपने पारंपरिक हथियारों और शस्त्रों के साथ सुलिया पीठ की ओर बढ़ते हैं। सोमवार को निसिपूजा के बाद अन्य अनुष्ठान और पूजा की जाती है। उसके बाद मुर्गे की बलि दी जाती है और ‘सुलिया बूढ़ा’ को भोग लगाया जाता है। इसके बाद भक्तों द्वारा लाए गए बैल, भेड़, मुर्गी, बत्तख और अन्य जानवरों की बलि पीठ में दी जाती है। पिछले कुछ सालों में सुलिया यात्रा में पशु बलि को लेकर विवाद हुआ था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पशु बलि के पक्ष में अपना फैसला सुनाए जाने के बाद कोई भी आदिवासी लोगों की परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। अनुशासन बनाए रखने के लिए यहां एक अतिरिक्त एसपी, चार डीएसपी, इंस्पेक्टर और एएसआई और दो प्लाटून पुलिस बल और होमगार्ड तैनात किए जाने हैं।
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