राजस्थान सरकार को दिल्ली में बीकानेर हाउस को कुर्क करने के आदेश मामले में बड़ी राहत मिली है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कुर्की पर सशर्त रोक लगा दी है, जो एक हफ्ते के अंदर बकाया धन जमा करने पर निर्भर है. मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2025 को होगी. कोर्ट ने कहा कि बीकानेर हाउस, जो राजस्थान सरकार के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, फिलहाल राज्य सरकार के नियंत्रण में रहेगा. इससे सरकारी कार्यों में कोई बाधा नहीं होगी. राजस्थान नगर पालिका नोखा के पास बीकानेर हाउस का मालिकाना हक है.

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क्यों दिया था कुर्की का आदेश

राजस्थान की नोखा नगर पालिका और एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच विवाद के बाद मध्यस्थता केंद्र ने एक समझौता किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स को 50 लाख 31 हजार रुपये देने का आदेश दिया था. 21 जनवरी 2020 को अदालत ने यह आदेश जारी किया था, लेकिन नोखा नगर पालिका ने कंपनी को भुगतान नहीं किया. 21 नवंबर को, अदालत ने कहा कि नोखा नगर पालिका बीकानेर हाउस को लेकर अगले आदेश तक कोई निर्णय नहीं लेगा.

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18 नवंबर 2015 को बीकानेर हाउस को आम लोगों के लिए खोल दिया गया, क्योंकि यह भारत की आजादी के समय एक महत्वपूर्ण स्थान था जहां राजघराने, राजस्थान के अलावा, विलय नीति पर चर्चा करते थे.

ब्रिटिश और राजपूताना शैली के साथ बना

बीकानेर हाउस का पुराना इतिहास है. यह बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह के शासनकाल में बनाया गया था और ब्रिटिश और राजपूताना शैली में बनाया गया था. इसमें छत्र शैली के गुंबद थे और अतिथि कक्ष और महिलाओं के लिए अलग-अलग कमरे थे. 18 फरवरी 1929 को, भव्य गृह प्रवेश समारोह के साथ खोला गया था.

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