आशुतोष तिवारी, बस्तर। सिलगेर गोलीबारी कांड़ की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि एक बार फिर से ग्रामीण सरकेगुड़ा इलाके में ही एकत्रित होने लगे हैं. बताया जा रहा है कि ग्रामीण 500 से अधिक संख्या में रविवार से ही पहुंचना शुरू कर दिए हैं. सिलगेर गोलीबारी से नाराज और सरकेगुड़ा एनकाउंटर मामले में कार्रवाई नहीं होने से नाराज आदिवासी आंदोलन करने के लिए एकत्रित हो रहे हैं. एक बार फिर से बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है.

सिलेगर और सरकेगुड़ा एनकाउंटर मामले में जुटे ग्रामीण

मूलवासी बचाओ मंच द्वारा जारी किए गए पोस्टर में 28 जून को सारकेगुड़ा की बरसी पर विशाल जनसभा का भी एलान किया गया था. ऐसा माना जा रहा है किसिलगेर से धीरे-धीरे ग्रामीण एकत्रित होकर 27 या 28 जून को सारकेगुड़ा पहुंचेंगे. वहीं कुछ इलाके के स्थानीय बताते हैं कि ग्रामीणों की यह भीड़ 28 जून तक बढ़ती चली जाएगी. 28 को सारकेगुड़ा में पूरी भीड़ एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो जाएगी.

ग्रामीणों से जबरदस्ती कराया जा रहा आंदोलन

बस्तर IG सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों को जबरदस्ती कैंप के विरोध में भेजा जा रहा है. अगर ग्रामीण जाने से मना करते हैं या तबीयत खराब होने की बात कहते हैं, तो उनपर 500 से 2000 तक का जुर्माना नक्सलियों के द्वारा लगाया जा रहा है. उनका कहना है कि पुलिस के द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है. लोकल प्रशासन और पुलिस के द्वारा ग्रामीणों को समझाइश देकर वापस भेजने की कोशिश की जा रही है.

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सिलगेर गोलीबारी मामला

17 मई 2021 को सिलगेर पुलिस कैंप पर नक्सलियों ने हमला किया था. इस दौरान फायरिंग में 3 लोगों की मौत हो गई थी. इस गोलीबारी में 15-20 ग्रामीण घायल हुए थे, जबकि 4 लोगों की हालत नाजुक थी, जबकि पुलिस के पास 3 डेड बॉडी थे. ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ग्रामीणों को घेरकर फायरिंग की है. हमारे साथ नक्सली नहीं थे. हम लोग सभी ग्रामीण थे, लेकिन पुलिस जानबूझकर फायरिंग की, जिससे ग्रामीणों की मौत हुई. इसी को लेकर आदिवासी फिर से आंदोलनरत हैं.

क्या था पूरा मामला ?

दरअसल, साल 2012 में 28 जून की रात छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त एनकाउंटर में 17 लोग मारे गए थे. 18 साल से कम उम्र के 6 लोग शामिल थे. 7 साल बाद इस एनकाउंटर की जांच रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक उस मुठभेड़ में नक्सलियों के शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं. मारे गए लोग आम ग्रामीण थे. इससे नाराज नक्सली और ग्रामीण सरकेगुड़ा बरसी को लेकर आंदोलन करने के लिए एकजुट हो रहे हैं.

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