रायपुर. शासकीय अस्पतालों में अमानक एंटीबायोटिक दवा देने का मामला आज सदन में ध्यानाकर्षण के जरिये बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने उठाया.

इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा- यह सही नहीं है कि अमानक दवा का इस्तेमाल किया जाता रहा और इसका पता नहीं चला. मानक पाए जाने के बाद ही इसे उपयोग में लाया गया था. बाद में 1.09.2020 को अमानक की शिकायत आने के बाद ही इसे इस्तेमाल पर रोक लगाई गई और दूसरी लैब में इसकी जांच कराई गई.

22.10.2020 को इस बैच के अमानक पाए जाने के बाद सप्लाई करने वाली फर्म को दवा का उठाव किए जाने का आदेश दिए गए. इस बैच का केवल .7 5 फीसदी दवा का ही इस्तेमाल किया गया.

मानक गुणवत्ता प्रतिवेदन पाए जाने के बाद ही दवा की आपूर्ति विभाग में की जाती है. अमोक्सीसिलिन दवा के अमानक पाए जाने का कारण उसके प्रभाव में कमी पाई गई थी. किसी एक भी मरीज में इसका दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है.

सॉफ्टवेयर में दवा के उस बैच को अपलोड किया गया है जिससे उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सके. अनुबंध के तहत दवा सप्लाई करने वाले फर्म पर कार्रवाई की गई है. फर्म से 2 लाख 29 हजार 501 रूपये की राशि वसूली गई.

सौरभ सिंह ने पूछा

कंपनी ने अमोक्सीसिलिन की दवा बस सप्लाई की है ? कंपनी ने कई दूसरी दवा भी सप्लाई की होगी. क्या बाकी दवा पर भी रोक लगाई जाएगी?

टी एस सिंहदेव कहा

रोक लगाने की अपनी प्रक्रिया है. प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाती है. एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब से ही जांच कराई जाती है.