कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर अब भी बड़ी संख्‍या में शोध चल रहे हैं. वायरस भी अपना रूप बदलकर और जानलेवा होता जा रहा है. ऐसे में दुनियाभर में बनाई गई वैक्‍सीन (Corona Vaccine) के इन वैरिएंट (Coronavirus Variants) पर प्रभावीकरण को भी परखा जा रहा है. इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. भारतीय वैक्‍सीन Covaxin को लेकर एक रिसर्च में पता चला है कि यह वैक्‍सीन कोरोना के वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी है.

खास बात यह है कि यह Vaccine भारत में मिले B.1.617 और यूके में मिले  B.1.1.7 वेरिएंट के खिलाफ भी सुरक्षा देती है. कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्‍या में सामने आए संक्रमणों और मौत के मामलों के पीछे B.1.617 वेरिएंट को भी जिम्‍मेदार माना गया. यहां तक की WHO ने कहा कि यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकती है. Covaxin की इस उपलब्धि की खबर इस वैक्‍सीन को विकसित और निर्मित करने वाली कंपनी BharatBiotech की सह-संस्‍थापक सुचित्रा इल्‍ला ने दी है.

सुचित्रा इल्‍ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘Covaxin को एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. हाल ही में प्रकाशित किए गए रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक कोवैक्‍सीन नए वेरिएंट्स को लेकर भी सुरक्षा देता है. यह हमारे लिए एक और बड़ी उपलब्धि है.’

NIV और ICMR के सहयोग से की गई स्‍टडी

नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सहयोग से की गई इस स्‍टडी में सामने आया है कि कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे टीकाकरण में कोवैक्‍सीन का उपयोग लोगों को कई तरह के वेरिएंट्स से भी सुरक्षा देता है. इसमें भारत में मिला B.1.617 और यूके में मिला  B.1.1.7 वेरिएंट भी शामिल है. कोवैक्‍सीन इन सभी वेरिएंट्स के खिलाफ न्‍यूट्रिलाइजिंग टाइटर्स प्रोड्यूस करता है, यानि कि उन्‍हें निष्‍प्रभावी करता है.

क्या कहा गया है रिसर्च में

एनआईवी के वैज्ञानिकों ने कोवैक्सिन की दो डोज ले चुके लोगों के खून के सीरम से निकाले गए एंटीबॉडी पर कोरोना वायरस के बी.1.617 म्‍यूटेशन के साथ टेस्‍ट किया. उनमें बी.1 के खिलाफ उत्पन्न एंटीबॉडी की तुलना में लगभग 55 फीसदी कम एंटीबॉडी पाई गईं. कोविशील्ड के मामले में, बी.1.617 के लिए एंटीबॉडी का स्तर 21.9 फीसदी था जबकि बी.1 वैरिएंट के लिए यह 42.92 फीसदी था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब एंटीबॉडी के स्तर की तुलना बी.11.7 (ब्रिटिश स्ट्रेन) से की गई, तो केवल 6 फीसदी की कमी देखी गई, जबकि ब्राजीलियाई स्ट्रेन (पी2) के खिलाफ भी कमी देखने को मिली.