पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद। लॉटरी के लालच में आकर कृषि विस्तार अधिकारी साढ़े लाख रुपए का ठगी का शिकार हुआ है. ठगों ने अधिकारी को लाखों नगद और पल्सर बाइक लॉटरी में देने का वादा कर अपने झांसे में ले लिया. जब ठगों ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया, तब जाकर अधिकारी को ठगे जाने का अहसास हुआ. मामला गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना इलाके का है.

जानकारी के मुताबिक गरियाबंद के कृषि विभाग में पदस्थ फार्म हाउस प्रभारी और वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी निर्भय साहू (60 वर्ष) ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए है. कृषि अधिकारी ने मैनपुर थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया है कि पिछले 20 महीने में 5 लोगों के अलग-अलग खाते में 39 बार में 6 लाख 72 हजार रुपए डाले हैं.

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इनके खिलाफ थाने में केस दर्ज

अधिकारी ने इससे पहले 2 मार्च को मामले की शिकायत एसपी से की थी. शुरुआती जांच के बाद 13 अप्रैल को मैनपुर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. थाना प्रभारी सत्येंद्र श्याम ने बताया कि मामले में आर के बुंदेला जूनियर मैनेजर, सहायक मैनेजर तिवारी, एयरटेल मैनेजर राज देवांगन के खिलाफ आईपीसी की धारा 420(34)के तहत मामला दर्ज किया गया है. जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी.

15 लाख के लॉटरी ने बढ़ाया लालच

शिकायत के अनुसार जून 2019 में कृषि अधिकारी के पास पहला फोन आया था. एयरटेल कम्पनी के एक ऑफर में उनके नाम से 2 लाख 85 हजार और पल्सर बाइक लॉटरी में जीतने की जानकारी दी गई. जिसे रिलीज कराने प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में 5800 डालने की बात कही. फोन के जरिए 25 जून को ईसू कुमार साहू का एसबीआई का खाता नंबर दिया. उस खाते में अधिकारी ने 13 बार में ढाई लाख से ज्यादा रुपए डाल दिए. फिर जुलाई में फोन कर कहा गया कि लॉटरी की रकम 15 से 16 लाख हो गई है. लालच में बुरे फंसे कृषि विस्तार अधिकारी ठगों के बताए गए कुल 5 खातों में 22 फरवरी 2021 तक 39 बार में 6 लाख 72 हजार रुपए डाल दिए.

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ऐसे मामलों में पुलिस को होती है परेशानी

ठगों ने अपना पता इंदौर विजय नगर मेट्रो टॉवर प्लॉट नंबर 4, ब्लॉक नंबरर 417 बताया था. लेकिन हो सकता है पता गलत भी हो. ऐसे मामले में आरोपियों तक पहुंचने पुलिस इस्तेमाल खाते का केवाईसी, उसमें डाले गए रकम का उपयोग कैसे और कहा हो रहा है, इसकी जानकारी मांगती है. बैंकिंग पेपर्स ही पुलिस का सबसे बड़ा आधार होता है. इसी के जरिए पुलिस उन आरोपियों तक पहुंचती है. इस मामले में भी पुलिस ने ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई है. हालांकि लॉकडॉउन की वजह से जानकारी मिलने में देरी होगी.

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