रायपुर। नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन और स्वास्थ्य संचालनालय ने 5 दिवसीय प्रत्यारोपण समन्वयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया है. दूसरे दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के एनेस्थेटिस्ट और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. ओपी सुंदरानी ने संभावित मस्तिष्क स्टेम डोनर की पहचान और ट्रैकिंग के बारे में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया.

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डॉ. ओपी सुंदरानी ने कहा कि किसी भी मनुष्य का मस्तिष्क जब पूर्णतः काम करना बंद कर दें. मस्तिष्क से संचालित की जा रही गतिविधियां बंद हो जाएं. इस स्थिति को मस्तिष्क का मृत हो जाना या ब्रेन डेड की अवस्था कहते हैं. ब्रेन डेड का पता प्रगाढ़ बेहोशी या कोमा, ब्रेन स्टेम प्रतिक्रिया की अनुपस्थिति और एपनिया के जरिये लगाया जा सकता है. कार्डियोपल्मोनरी मापदंड भी ब्रेन डेथ को पता लगाने का एक तरीका है.

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डॉ. सुंदरानी ने अंत में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के अनुसार ब्रेन डेथ की प्रमाणीकरण के कानूनी तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड या जिसे ब्रेन स्टेम डेथ के नाम से भी जाना जाता है. कानूनी या आधिकारिक तौर पर मृत्यु ही है. किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क की मृत्यु का अर्थ है, उसके मस्तिष्क में किसी भी प्रकार की तंत्रिकीय गतिविधि नहीं हो रही है.

अंगदान के लिए मृतक के परिवार की सहमति

डॉ. सुंदरानी ने कहा कि मस्तिष्क कोशिकाओं ने सिग्नल भेजना बंद कर दिया है. ब्रेन डेथ में ब्रेन स्टेम काम करना बंद कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य का जीवन समाप्त हो जाता है. डॉ. प्राची साठे ने ब्रेन डेड मनुष्य के अंगों के रखरखाव और इसके डोनेशन के प्रक्रियाओं के बारे में ऑनलाइन जानकारी दी. सुजाता अष्टेकर ने अंगदान के लिए मृतक के परिवार की काउंसलिंग और उनकी सहमति के बारे में लोगों को संबोधित किया.

जागरूकता की कमी के कारण अंगदान में परेशानी

डॉ. प्राची साठे ने कहा कि ब्रेन डेड के कई मामले सामने आने पर भी परिवार वालों में जागरूकता की कमी के कारण अंगदान और इसके ट्रांसप्लांट के प्रति उदासीनता बनी रहती है. इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जा सकती है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन समेत कई डॉक्टर्स मौजूद रहे.

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