रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने रेमडेसिविर दवा की खरीदी पर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के सवाल का जवाब दिया है. सिंहदेव ने कहा कि पूर्व में ऐसा महसूस होता था कि सकारात्मक सुझाव मिल रहे हैं. साथ मिलकर कार्य हो रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि बीजेपी के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि दुष्प्रचार में संलग्न हो गए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे सोची-समझी किसी रणनीति के तहत गलत तथ्यों को प्रस्तुत करके वे छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कार्यों को कमतर बताने का प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही अजय चंद्राकर के प्रश्न पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने बताया कि 22 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने 595 रुपए में रेमडेसिविर खरीदी, तो इसकी जगह पर 16 अप्रैल को छत्तीसगढ़ सरकार ने 1400 रुपए में रेमडेसिविर इसलिए खरीदी है, क्योंकि बाजार में सामान का दाम परिस्तिथि के अनुसार बदलते रहता है. दवाओं पर भी यह प्रभाव पड़ता है.

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यही हालात रेमडेसिविर दवा के साथ भी उत्पन्न हुए हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने सिपला कंपनी के साथ अनुबंध किया हुआ था. जिसे पूरा करने में कम्पनी पीछे हट गई थी. उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान छत्तीसगढ़ में रेमडेसिविर की अत्यंत आवश्यकता थी. इस जरूरत और जनभावना को देखकर हमारी सरकार ने एमरजेंसी टेंडर बुलवाया था.

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के प्रश्न पर प्रतिक्रया देते हुए गुजरात, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आंकड़े सामने रखे जिसमें राज्यों ने 1568 रुपए में रेमडेसिविर का क्रय किया है. उन्होंने कहा कि जब दवा उपलब्ध नहीं हुई होगी, तब राज्यों ने महँगे दाम पर भी इस दवा को खरीदने का निर्णय लिया होगा. टीएस सिंहदेव ने आगे कहा कि इन सभी दरों की समीक्षा करके विषम परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की ओर से आदेश दिया कि जब सारे देश में 1400 रुपए में ही यह दवा उपलब्ध हो रही है, तब छत्तीसगढ़वासियों के असंतोष को देखते हुए हमने इसी दर में कार्य करने का निर्णय लिया.

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इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार के पत्र दिखाकर कहा कि माईलेन फार्मास्यूटिकल कंपनी जिससे छत्तीसगढ़ सरकार ने यह दवाई खरीदी है. इस कंपनी के लिए भारत सरकार की ओर से 4800 रुपए की दर को घटाकर 3400 रुपए निर्धारित किया गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने इस दर से भी कम 1400 रुपए में यह दवा खरीदी है. इसके बाद भी गलतबयानी या आरोप के जरिये भ्रम फैलाने की जो कोशिश की जा रही है. वह कोरोना की विरुद्ध जंग में सकारात्मक प्रयास नहीं हो सकता है.

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