कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश की सियासत का केंद्र रहने वाले ग्वालियर चंबल अंचल में दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के बावजूद बीजेपी को हार मिली मिली है. इसे लेकर अंचल से आने वाले वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली का मानना है कि बीजेपी के लिए यह खतरे की घंटी है. ग्वालियर चंबल में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के जो नतीजे आए हैं. यह रिजल्ट बताते हैं कि जो स्थिति भारतीय जनता पार्टी की 2018 में थी. वही स्थिति को दर्शा रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली का कहना है कि 2018 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जाने के पीछे ग्वालियर चंबल अंचल ही कारण रहा था, क्योंकि उस दौरान बीजेपी के वोट और सीटों में गिरावट सामने आई थी. सबसे खास बात यह है कि तब कहा जाता था कि ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस पार्टी के लिए सिंधिया एक बड़ी ताकत है. इसके लिए बीजेपी को ग्वालियर चंबल अंचल में कई बार कड़ा मुकाबला करने के साथ हार का सामना करना पड़ता था.

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इस बार चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं, क्योंकि इस बार पूरी सिंधिया फैमिली उनके समर्थक और खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में है. वह केंद्रीय मंत्री भी हैं. उसके बावजूद 57 साल बाद कांग्रेस का मेयर ग्वालियर में जीतना पार्टी के लिए काफी शर्मनाक हार है. जिसे पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता समझ भी रहे हैं.

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इसके साथ ही मुरैना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी यहां पर अच्छा खासा वर्चस्व है. जब उन्होंने पार्टी छोड़ी थी, तब सबसे ज्यादा इस्तीफा देने वाले विधायक मुरैना से सामने आए थे. उसके बावजूद मुरैना नगर निगम मेयर का चुनाव हारना भी पार्टी के लिए विचार का विषय बन गया है. यह हालात तब बने है जब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दरवाजे दरवाजे पर पहुंचे थे.

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीएम के साथ मिलकर रोड शो किया. ग्वालियर और मुरैना दोनों ही जगह पर दर्जनों मंत्री पार्टी के लिए प्रचार करते हुए नजर आए. मुरैना से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा आते हैं और इन सब कारणों के बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. यह भाजपा के लिए चिंतन का विषय जरूर होना चाहिए.

बीजेपी को इन हार के कारणों को तलाशना होगा. जिनमें सबसे मुख्य जनता की नाराजगी और कार्यकर्ताओं में असंतोष इन दोनों सूत्रों पर काम करना होगा. यदि इस पर काम नहीं किया गया, तो विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है.

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