पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। एक तरफ तो राज्य सरकार बच्चों की पढ़ाई के बड़े-बड़े दावे करती है. साथ ही प्रदेश में कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. लेकिन गरियाबंद में नौनिहालों का भविष्य अधर में अटका हुआ है.

आरबीसी सेंटर बंद होने से बंद हो गई दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई

दरअसल दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर विभाग गंभीर नजर नहीं आता है. सरकार ने 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम लागू किया था, लेकिन उनकी शिक्षा को लेकर मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई. सरकार ने दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष तौर पर चलाए जा रहे आरबीसी सेंटर भी बंद कर दिए. नतीजा ये हुआ कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले प्रदेश के हजारों दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई. गरियाबंद जिला भी इससे अछूता नहीं रह सका.

गरियाबंद की रहने वाली छात्रा ममता, अंजलि और बबीता वे दिव्यांग बच्चियां हैं, जिनमें पढ़ाई को लेकर ललक है. ये पढ़-लिखकर अपने जीवन के अंधकार को दूर करना चाहती हैं. लेकिन इसके लिए इन्हें विशेष तरीके से शिक्षा दिए जाने की जरूरत है. अभिभावक भी बच्चियों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन जिले में इन विशेष बच्चों की पढ़ाई के लिए माकूल व्यवस्था नहीं है. पिछले साल आरबीसी सेंटर बंद होने से इनकी पढ़ाई बंद हो गई है.

गांव के स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ तालमेल बिठाने में दिक्कतें

इनमें से कुछ दिव्यांग बच्चे गांव में संचालित स्कूलों में जाते हैं, लेकिन वे सामान्य बच्चों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते हैं, जिसके कारण इनमें हीन भावना घर करती है. साथ ही गांव के स्कूल के शिक्षक भी इन विशेष बच्चों को पढ़ाने में बेबस नजर आते हैं. क्योंकि इन बच्चों को विशेष शिक्षा की जरूरत होती है और इसके लिए अलग से प्रशिक्षित शिक्षक होते हैं.

अधिकारी भी पा रहे हैं खुद को असमर्थ

जिले के अधिकारी भी बच्चों की परेशानी को जानते हैं, लेकिन वे कुछ भी कर पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं. मैनपुर के ब्लॉक समन्वयक ए आर टांडिया ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित आरबीसी सेंटर्स का फंड हो जाने के कारण वे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं.

गौरतलब है कि गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड में 121 छात्र और 106 छात्राएं दिव्यांग हैं. जिनकी पढ़ाई आरबीसी सेंटर बंद होने से प्रभावित हुई है. पूरे गरियाबंद जिले के आंकड़ों पर गौर करें, तो ये आंकड़ा 500 से ज्यादा है. जब एक जिले में 500 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बंद हुई है, तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश की स्थिति क्या होगी.