रायपुर. कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में एक खास महत्व होता है. कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा इस साल शुक्रवार 19 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. इस पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा माना जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी. इस दिन हर मनोकामना होगी पूरी होती है.

देव दिवाली पर गंगा के तट पर देवता स्नान करके दीप जलाकर स्वर्ग प्राप्त‍ि का उत्सव मनाते हैं. इस दिन पूजा पाठ, दान आदि करने से खास पुण्य की प्राप्ति होती है. और हर मनोकामना होगी पूरी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन से 5 उपाय करने से आपके जीवन से धन संबंधी समस्या का अंत होकर आप मालामाल बन सकते हैं.

छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन

इस दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति अनसूया और क्षमा इन छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन किया जाता है, क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता हैं और इनकी पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है. अगर धूप-दीप, नैवेद्य द्वारा विधिवत पूजन करने से धन-धान्य में भी वृद्धि होती है.

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दीपदान

मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली को अगर गंगा मां के किनारे दिया जलाते हैं, तो मां की कृपा प्राप्त होती है. इसलिए इस खास दिन पर दीपदान का खास महत्व है. नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं. इतना ही नहीं सिर चढ़े हुए कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. मनोकामना भी पूरी होती है. इसके साथ ही बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों का बना हुई तोरण अवश्य बांधे और की मुख्य जगहों पर दिए भी जलाएं.

तुलसी पूजा

इस दिन में शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा, सेवन आदि का खास महत्व होता है. कार्तिक माह में तुलसी पूजा करके अनन्त फल की प्राप्ति होती है. इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन करवाने से भगवान की कृपा मिलती है. इस दिन तुलसी मां की पूजा अर्चना करें और उनके आगे घी का दिया जरूर जलाएं.

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पूर्णिमा का व्रत

कार्तिक पूर्णिमा के व्रत का भी अपना खास महत्व है. इस दिन उपवास करके भगवान को याद करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. इस दिन व्रत के साथ गंगा स्नान का भी खास महत्व होता है. साथ ही कार्तिक पूर्णिमा से एक वर्ष तक पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर प्रत्येक पूर्णिमा को स्नान दान आदि पवित्र कर्मों के साथ श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करने का अनुष्ठान भी फलदायी होता है.

दान का फल

इस दिन दानादिका दस यज्ञों के समान फल होता है. इस दिन किसी भी प्रकार के दान करने का अत्यधिक महत्व होता है. अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें.