पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. राजगोड़ आदिवासी समाज ने झरगांव में बुढ़ादेव की भव्य मंदिर का निर्माण कर अपने आराध्य देव की विधि विधान से स्थापना की. विशाल सामुदायिक भवन का भी लोकार्पण किया गया. इसके बाद आयोजित महाअधिवेशन में राजगोड़ आदिवासी समाज ने सामाजिक मांगलिक कार्यों में मांस मदिरा सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया. वहीं बाल विवाह को रोकने विवाह के लिए उम्र तय किया. समाज के गरीब परिवार व बेटियों की उच्च शिक्षा के लिए सामाजिक फंड से मदद करने का भी फैसला लिया.

आयोजन की शुरुआत 22 फरवरी को विशाल कलश यात्रा के साथ की गई, जिसमें समाज के 5 हजार से भी ज्यादा माता बहनें शामिल हुई. दूसरे दिन 23 फरवरी को गोंडी रीति रिवाज से मंदिर में पूजन व 6 फीट ऊंची अराध्य बूढ़ादेव की प्रतिमा की स्थापना की गई. कुंभ भराई से लेकर हवन व दो दिनों तक भंडारे का आयोजन किया गया.

समाज के सरंक्षक गावर्धन मांझी ने कहा कि 1970 में झरगांव के इसी स्थल पर राजगोड़ समाज के सामाजिक संविधान का निर्माण हमारे बुजुर्गों ने किया था. नियमावली का 4 गढ़ में पालन होता आ रहा है. समाज के लिए यह एक ऐतिहासिक स्थल है. कार्यक्रम में राज गोड़ समाज के 4 गढ़ यानी छुरा गढ़, कालाहांडी, नुआपडा, नवरंगपुर से 30 हजार से भी ज्यादा सामाजिक लोगों की उपस्थिति रही. इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रुप में लोकसभा नवरंगपुर के सांसद रमेश चंद्र मांझी, केन्द्र सभा झरगांव संरक्षक गोवर्धन सिंह मांझी ,केन्द्र सभापति डमरुधर पुजारी,सलाहकार हेमसिंह ध्रुवा, सेवन पुजारी, भुमि दानदाता कांतिलाल पाथर , शशीकला पाथर, लम्बुधर नेताम , केन्द्र सभा प्रवक्ता व कार्यक्रम के संचालनकर्ता दुष्यंत ध्रुवा , हृदयानंद मांझी , अंबिका मरकाम , मीडिया प्रभारी तानसिंह मांझी, सनत मांझी, रुपेन्द्र सोम, संगीता मांझी कर्मचारी प्रकोष्ठ अध्यक्ष टीकमसिंह मांझी समेत 4 गढ़ के सभी ग्रुप सभापति, पदाधिकारी व भारी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए.

बाल विवाह रोकने भी उठाया कदम

धार्मिक आयोजन के बाद समाज ने समाज को मुख्यधारा से जोड़ने कई अहम निर्णय लेने अधिवेशन किया. समाज प्रमुखों की मौजूदगी में आधी रात तक चले अधिवेशन में सामाजिक व मांगलिक कार्यों में मांस मदिरा के सेवन पर समाज ने पूर्ण प्रतिबंध लगाया. यह तय किया गया कि नियम का पालन नहीं हुआ तो जिम्मेदार ग्रुप सभापति होंगे. इसके अलावा बाल विवाह को रोकने समाज ने युवती का 21 व युवक का उम्र कम से कम 24 साल हो तो ही उसे विवाह योग्य माने जाने का निर्णय लिया. इसके अलावा समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राएं जो धन के अभाव में उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाते, ऐसे प्रतिभावानों की पढ़ाई का खर्च समाजिक फंड से उठाने का फैसला लिया गया. समाज के लगभग 300 कर्मचारी प्रति माह फंड में 200 रुपए जमा भी करेंगे. बेटी शिक्षा को बढ़ावा देने जैसे कई अहम फैसले लिए गए.

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