नई दिल्ली. आज देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है, वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. भारत रत्न से सम्मानित हो चुके अब्दुल कलाम को जनता का राष्ट्रपति भी कहा जाता है. कलाम साहब का जीवन का हर पहलू लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत हैं, कलाम ने ये साबित किया कि इंसान अपने कर्मों और ज्ञान से ही बड़ा बनता है ना कि कपड़ों और पैसों से.

कलाम ने नहीं की शादी…

पूरी दुनिया जानती है कि बच्चों के बेहद प्रिय कलाम साहब ने पूरा जीवन अकेले बिताया, उन्होंने शादी नहीं की और ना ही अपना परिवार बढ़ाया लेकिन उनके बच्चे थे और ये बात सामने तब आई जब एक इंटरव्यू के दौरान उनसे उनके निजी जीवन के बारे में पूछा था. दरअसल एक बार राष्ट्रपति भवन में कलाम साहब बच्चों के बीच में घिरे हुए थे.

कलाम ने कहा- मेरे तीन बेटे हैं…

तभी वहां उनका इंटरव्यू लेने आए एक विदेशी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आपकी कोई अपनी संतान नहीं है फिर भी आप बच्चों से इतना प्यार करते हैं? पत्रकार की बातें सुनकर कलाम साहब मुस्कुराए और बड़ी शालीनता के साथ बोले कि नहीं आप गलत हैं मेरे तीन बच्चे हैं. जिनके नाम हैं. कलाम साहब का जवाब सुनकर सब भौचक्के रह गए लेकिन जब उन्होंने अपनी पूरा बात कही तो हर किसी की आंखें खुशी और गर्व से छलछला उठीं, क्योंकि कलाम ने कहा कि आपको पता नहीं मेरे तीन बेटे हैं, जिनके नाम हैं पृथ्वी, अग्नि, और ब्रह्मोस.

डॉ कलाम के छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान की कुछ खास तस्वीरें

बच्चों से बेइंतहा मोहब्बत करते थे कलाम

15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में जन्मे कलाम ने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी. उन्हें साल 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था. वो बच्चों से बेइंतहा मोहब्बत करते थे और इसे विधि का विधान कहिए कि अपने अंतिम वक्त में भी वो बच्चों के ही साथ थे. मालूम हो कि उनका 27 जुलाई, 2015 को शिलांग में निधन हो गया था वे आईआईएम में लेक्चर देने गए थे, इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वो पंचतत्व में लीन हो गए थे.

छत्तीसगढ़ से जुड़ी डॉ. कलाम की यादें

  • 28 जनवरी 2004 में छत्तीसगढ़ आगमन,विधानसभा में विजन 2020 उद्बोधन, एनर्जी पार्क का उद्घाटन, स्टूडेन्ट्स से बातचीत, पं. रविवि के 10वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए.
  • 03 जून 2004- बस्तर दौरा, पुरखौती मुक्तांगन का शिलान्यास
  • 07 नवंबर 2006 में पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण, राज्योत्सव में शिरकत किए, बेमेतरा रतनजोत रोपण कार्यक्रम शामिल हुए.
  • 22 नवंबर 2010 को मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल पर आयोजित नेशनल सेमिनार, डीपीएस और नि:शक्त बच्चों की संस्था आकांक्षा में बच्चों से मुलाकात की.
  • 12 सितंबर 2013 को अंतिम बार पं. रविवि के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए, दूसरे दिन 13 सितंबर को बेमेतरा में