रायपुर. पिता और बच्चे में एक-दूसरे के आपसी विचार न मिलने से रिश्तो की डोरी कमजोर होने लगती और अन्तत: एक ऐसी स्थिति आ जाती है, कि ये अनमोल रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है. पुत्र पिता की आज्ञा नहीं मानता है और घर-परिवार को अपमानित करता है. पिता-पुत्र के संबंधों में परेशानियां आती हैं और दोनों में अविश्वास बना रहता है. हालांकि यह विचारों के मतभेद की कहानी लगभग हर परिवार की एक सामान होती है. किन्तु अगर ये उग्र होता जाए तो परिवार में कलह का कारण बनता है. ऐसे में घर में अशांति का वातावरण छा जाता है. सूर्य पिता का और शनि पुत्र का कारक होता है.

ज्योतिषी के अनुसार, जब कुंडली में सूर्य और शनि ये दोनों ग्रह नीचे राशि में या पाप प्रभाव में एक होते है तो निश्चित रूप से पिता पुत्र के मध्य विरोध का कारण बनता है. घर की शांति के लिए और उनके रिश्ते की मधुरता बनाएं रखने के लिए इसका निदान अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

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उपाय

– यदि पिता की ओर से विरोध चल रहा है, तो पुत्र को सवा किलो गुड़ को लगातार तीन रविवार तक बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए.
– पिता को शनिवार को पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलना चाहिए तथा साथ ही मीठे जल और सर्सो के तेल की धार गिरानी चाहिए. इससे पिता पुत्र के मध्य विवाद शीघ्र समाप्त हो जाता है.
– पुत्र के हाथों गुड मिश्रित जल नियमित रूप से सूरा देव जो चढाने से उनके मध्य का विरोध दूर हो जाता है.
– अगर पुत्र रविवार के दिन पिता को लाल वस्तु उपहार में दे तो ये भी विरोध को दूर करने में कारगर साबित होता है.
– शनिवार के दिन पिता पुत्र को नीली वस्तु उपहार में तो भी समस्या का निदान संभव है.

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इसके अलावा शनि देव के दिन शनिवार तिल गुड के लड्डू और तिल का तेल या तिल का दान करना चाहिए. नदी का स्नान कर सूर्य को अर्ध्य देना और गायत्री मन्त्र का पाठ करना भी शुभ फल देता है.