रायपुर. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा है कि न्यायालय के इस निर्णय उपरान्त कि भूपेश बघेल के परिजन उनके द्वारा बताई जा रही भूमि पर अपना मालिकाना हक़ साबित करने में असफल रहे हैं अत: सरकारी ज़मीन को उनके कब्ज़े से मुक्त कराया जाये. शिवरतन ने कहा कि “ईमानदारी का ढोल बजाने वाले भूपेश अब बेनक़ाब हो गये हैं तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी से अपेक्षा है कि वे इस मामले का संज्ञान ले भूपेश बघेल को पदमुक्त करें.” भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि “ भूपेश बघेल पर हमारे आरोप प्रमाणित हुए हैं.  बड़ी बड़ी प्रेस वार्ता कर आरोप लगाने वाले भूपेश बघेल जी छत्तीसगढ़ के केजरीवाल कहलायेंगे.

कांग्रेस का पलटवार

इधर इस मामले में जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि कोर्ट का फैसला का संबंध भूपेश बघेल के पिताजी से हैं न की भूपेश बघेल से. तो ऐसे में इस फैसले का भूपेश बघेल पर आरोप का कोई मतलब नहीं. उन्होंने वापस सवाल किया कि विधायक शिवरतन शर्मा हैं या उनके पिताजी.

क्या है पूरा मामला

भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल द्वारा दायर एक याचिका को दुर्ग कोर्ट ने खारिज कर दी है. इस याचिका के माध्यम से नंदकुमार ने 20 एकड़ जमीन को पैतृक बताया था, जिसे कोर्ट ने सरकारी माना है. सरकारी वकील नागेश्वर यदु ने बताया कि इस प्रकरण में परिवादी नंदकुमार बघेल ऐसा एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिससे यह सिद्ध हो कि वास्तव में जमीन उनके नाम की है. इसी बात को हमने प्रमुखता से रखा था. जिसे न्यायालय ने सही ठहराया और परिवाद को खारिज कर दिया. प्रकरण के मुताबिक नंदकुमार बघेल ने परिवाद में जानकारी दी थी कि उनके दिवगंत पिता खोमनाथ बघेल ग्राम कुरुदडीह में पटवारी हल्का नंबर 64 के मालगुजार थे. जब 1973 में उनका निधन हुआ तब विवादित जमीन उनके कब्जे में थी. इसके बाद से इस 20 एकड़ जमीन का उपयोग वे करते आ रहे हैं. लेकिन चकबंदी के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण रिकार्ड से उनका नाम गायब हो गया. वर्तमान में यह जमीन उनके कब्जे में है. जिसका वे उपयोग वे कर रहे हैं. इसलिए रिकार्ड को सुधार कर जमीन को उनके नाम पर करने की अनुमति दी जाए, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.