कुमार इंदर,जबलपुर। आपने गुनहगारों को सजा पाते तो देखा होगा, लेकिन क्या बेगुनाह को जेल जाते देखा है. जी हां मंडला निवासी कोमल प्रसाद पांडे वहीं शख्स है, जिसने जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के पास पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है. कोमल प्रसाद पांडे का कहना है कि उसका कोई गुनाह नहीं था, वो बेगुनाह था. इसके बावजूद उसे 84 दिन की जेल काटनी पड़ी. शिकायत मिलने के बाद जबलपुर एसपी ने मामले में उचित जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

अमित खपरिया ने रची थी साजिश

दरअसल टोल नाके में अवैध वसूली को लेकर अमित खपरिया और उसके पिता समेत 10 लोगों को 22 सितंबर 2021 को 5-5 साल की सजा पड़ी थी. यहीं से अमित खमपरिया ने साजिश रची उसने अपने पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी समेत तीन लोगों को बचाने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा. अमित ने अपने पिता ‌अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी की जगह सीहोरा निवासी कोमल प्रसाद पांडे, जो कि बेगुना होते हुए भी 84 दिन की जेल काटकर बाहर आया है. राम जी द्विवेदी की जगह श्याम सुंदर और दशरथ प्रसाद तिवारी के जगह विराट तिवारी जबलपुर निवासी को कोर्ट में पेश किया. यही नहीं अमित खमपरिया ने इनके आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेजों में भी फर्जीवाड़ा कर इनकी पहचान बदल दी. पुलिस ने भी इन दस्तावेजों को चेक करना मुनासिब नहीं समझा.

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पिता की जगह कोमल प्रसाद को बनाया था गवाह

अमित खमपरिया ने अपने पिताजी की जगह पर कोमल प्रसाद पांडे को गवाही में पेश किया था. इसी दौरान जब अमित कंपरिया के पिता की जगह कोमल प्रसाद पांडे नैनपुर कोर्ट में गवाही देने के लिए पहुंचे, तो उन्हें वहां से गिरफ्तार कर लिया गया. कोमल प्रसाद पांडे मिन्नत करता रहा कि वह तो अमित खमपरिया के पिता की जगह साइन करने के लिए आया है, लेकिन पुलिस ने एक न मानी और उसे वहां से ले जाकर जेल में ठूंस दिया.

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क्या है पूरा मामला ?

इन बेगुनाहों को जेल पहुंचाने के पीछे मास्टरमाइंड अमित खमपरिया ही है. यह वही अमित खमपरिया है. जिसे टोल नाके पर अवैध वसूली के मामले में 5 साल की सजा पड़ चुकी है. फिलहाल वो जमानत पर बाहर है. पूरा मामला 2011 का मंडला जिले का है. जब अमित खपरिया और उसके पार्टनर मंडला के कान्हा नेशनल पार्क में आने वाले सैलानियों से तय रेट से ज्यादा पैसे लेकर अवैध वसूली करते थे. बाद में रसीद को टेंपरिंग करके शासन के पास तयदाम के हिसाब से पैसा जमा करते थे. मामला सामने आने पर मंडला पुलिस ने 10 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था. जिसमें अमित खंपारिया और उसके पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी भी शामिल था.

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