शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली संकट पर लगातार सरकार घिरती जा रही है. गृहमंत्री के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने माना है कि प्रदेश में बिजली संकट है. जिसको लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. कमलनाथ का कहना है कि बिजली संकट को लेकर सरकार झूठ परोस रही है.

पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा ”पहले तो मध्यप्रदेश में बिजली संकट, कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इंकार करते रहे और अब कई दिनों बाद शिवराज सरकार नींद से जागी और अब ख़ुद शिवराज जी स्वीकार रहे हैं कि प्रदेश में बिजली का संकट है. पर्याप्त आपूर्ति नहीं है. कोयले का भी संकट है, कोयले की बकाया राशि भी देना है और अघोषित कटौती भी हो रही है, लेकिन अफसोस अभी भी बिजली संकट के कारणों को लेकर झूठ परोस रहे हैं.”

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कमलनाथ ने अपनी बात आगे कहते हुए लिखा, ”जबकि सच्चाई यह है कि कोयले की भारी कमी है. उत्पादन इकाइयों पर कई स्थानों पर कोयला खत्म हो चुका है, कई स्थानों पर खत्म होने की कगार पर है. वहीं सरकार ने समय रहते कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए, कोयले की बकाया राशि का भी भुगतान नहीं किया, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ. और अब अल्प वर्षा का बहाना बना रहे हैं, बांध खाली होने की बात कर रहे हैं, कोयला खदानों में पानी भरने की बात कर रहे हैं.”

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कमलनाथ ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ”यह सब अचानक तो नहीं हुआ, सरकार ने समय पर सभी आवश्यक वैकल्पिक इंतज़ाम क्यों नहीं किए, जिससे प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति ही नहीं बनती. अब जब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में और कृषि क्षेत्रों में कई दिनों से घंटों बिजली गायब है. किसान व जनता परेशान हो रहे हैं तो नींद से जागकर कह रहे हैं कि “कोयले का इंतजाम कर रहे हैं, बकाया राशि का भुगतान कर रहे हैं, हर संभव उपाय करेंगे, वैकल्पिक बिजली की व्यवस्था कर रहे हैं.“ जबकि यह सब तो पहले ही हो जाना चाहिए था.”

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बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ‘लेटर आफ अवार्ड’ कार्यक्रम में माना कि प्रदेश में बिजली संकट है. सीएम ने कहा कि संकट है, पानी गिरा इसलिए नहीं बनी बिजली, लेकिन संकट दूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिजली संपूर्ण है, दिक्कत इसलिए है. नर्मदा के बांध खाली हैं, पानी की बिजली नहीं मिल रही है, कोयला खदानों में पानी भर गया. कभी ऐसा मौका आता है जब ऐसी परिस्थिति बनती है. सीएम ने कहा कि हम वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं.

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