रायपुर. केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) उन छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश प्रदान करेगा, जिन्होंने कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है. इस वर्ष कक्षा एक से बारहवीं तक किसी भी कक्षा के लिए सभी केन्द्रीय विद्यालय में इस नियम का पालन किया जाएगा.

केंद्रीय विद्यालयों के लिए बनाए गए इस नियम के तहत प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में ऐसे 10 छात्रों को दाखिला देने का प्रावधान किया गया है. हालांकि इस विशेष श्रेणी में छात्रों को दाखिला देने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य है. कोविड-19 से उनके अभिभावकों की मृत्यु की पुष्टि करनी होगी और यह कार्य संबंधित जिला अधिकारी द्वारा किया जाएगा. जिलाधिकारी की संस्तुति के उपरांत संबंधित जिले में स्थित केंद्रीय विद्यालय ऐसे छात्रों को दाखिला प्रदान करेगा. कोरोना के कारण अपने अभिभावकों को खो चुके छात्रों को एक और राहत प्रदान करते हुए यह भी फैसला लिया गया है कि इन छात्रों से ट्यूशन फीस नहीं वसूली जाएगी. यह फीस केंद्रीय विद्यालय स्वयं वहन करेंगे.

गौरतलब है कि देश और देश के बाहर केंद्रीय विद्यालयों का विस्तार किया जाएगा. यह प्रतिष्ठित विद्यालय केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित किए जाते हैं. वर्तमान में मॉस्को, तेहरान और काठमांडू जैसे विदेशी शहरों में केंद्रीय विद्यालय मौजूद हैं. अब इनके अलावा भी दुनिया के अन्य देशों में भारतीय छात्रों के लिए केंद्रीय विद्यालय शुरू किए जा सकते हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए बजट में केंद्रीय विद्यालयों का आवंटन बढ़ाकर 7650 करोड रुपए कर दिया गया है.

केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के बजट आवंटन में 850.00 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. बजट अनुमान 2021-22 मे केंद्रीय विद्यालयों को 6800.00 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. वहीं मौजूदा बजट में केंद्रीय विद्यालयों को दी जाने वाली धनराशि में बड़ा इजाफा किया गया है. बजट अनुमान 2022-23 में केंद्रीय विद्यालय संगठन को 7650.00 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है.

गौरतलब है कि शिक्षा की संसदीय स्थायी समिति ने सुझाव दिया था कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन को विदेश में अपनी शाखाएं खोलनी चाहिए. समिति के मुताबिक केन्द्रीय विद्यालय संगठन को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे भारतीयों की संख्या को ध्यान में रखते हुए विदेशों में अपना विस्तार करना चाहिए.