आप स्वर्ग जाएंगे या नर्क. फेसबुक के लिंक पर क्लिक कीजिये. आपने 95 प्रतिशत पुण्य किया है और 5 प्रतिशत पाप. आप स्वर्ग जाएंगे. अरे आपने तो 50 प्रतिशत पुण्य किया है और 50 प्रतिशत पाप. आपका फैसला यमराज के हाथों सुरक्षित है. आपका बेटा कैसे दिखेगा. अमुक लिंक पर क्लिक कीजिये. आप इतिहास में किस महापुरुष के हमशक्ल हैं. फलां लिंक पर क्लिक कीजिये. हर मामले का फैसला अब फेसबुक के हाथों सुरक्षित है. आपका मिजाज क्या है. इस लिंक पर क्लिक कीजिये. आज खाया हुआ खाना कितना हजम हुआ है. इस लिंक पर क्लिक कीजिये. आप अब तक कितने बार संडास जा चुके हैं. इस लिंक पर क्लिक कीजिये और शेयर कीजिये.

आजकल हर फैसला अब फेसबुक करने लगा है. आपको किसी फैसले के लिए किसी कोर्ट जाने की जरुरत नहीं है. वैसे भी कोर्ट की प्रक्रिया कितना जटिल है इससे तो आप वाकिफ ही होंगे. किसी आदमी ने एक हाथी पर चूहा होने का आरोप लगा दिया. बेचारा हाथी, वह चूहा नहीं है यह साबित करते-करते ही मर गया. इधर उसके मरने के बाद फैसला आया कि वह वाकई चूहा ही था. एक आदमी ने एक चूहा पर बैल होने का आरोप लगा दिया. चूहा लगातार कोर्ट की हाजिरी लगा रहा है. मगर फैसला अब तक माननीय न्यायालय के विचाराधीन है.

फेसबुक की जो आदत है उससे मैं काफी खुश हूँ. एक क्लिक पर ही बता देता है कि ये नाचीज आखिर क्या चीज है. मैं हमेशा फेसबुक के त्वरित फैसले का सम्मान करता हूँ. हाँ! मैं माननीय न्यायालय के 2जी स्कैम के फैसले का भी भारी सम्मान करता हूँ. वैसे फेसबुक के फैसले का भरोसा करूँ या न करूँ मगर कोर्ट के हर फैसले पर भरोसा करता हूँ. न्यायालय के घर में देर तो है मगर अंधेर नहीं है. फेसबुक के फैसले से जब आप सहमत न हों तो मनमाफिक फैसला फिर बदल लेने का ऑप्शन होता है. यह बहुत बड़ी बात है कि हम अपने मुताबिक फैसला बदल लें. फेसबुक के फैसले की तरह कोर्ट में भी और संविधान की धाराओं में भी मनमाफिक बदलाव की संभावनाएं बनी रहती है. आज बस इतना ही.

(ये व्यंग है और ये लेखक के निजी विचार हैं)