पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. गर्भावस्था में होने वाले कई जरूरी जांच की सुविधा स्थानीय स्तर पर नहीं होने के कारण अपरिपक्व गर्भपात की संख्या बढ़ गई है. बीती रात एक साथ तीन गर्भपात सीएचसी में हो गए. रात को मोखगुड़ा के कमला बाई, खोकसरा की मंदारो बाई और झाकरपारा की जानकी बाई को समय से पहले दर्द उठने के कारण देवभोग सीएचसी में भर्ती कराया गया था. यहां मौजूद संसाधनों से चिकित्सक उपचार कर ठीक करने का प्रयास करते रहे, लेकिन तीनों गर्भवती माताएं रातभर अस्पताल के बाहर तड़पती रही और अन्त में गर्भपात का शिकार हो गईं. इसमें डॉक्टरों की लापवाही भी सामने आई है. गरियाबंद के देवभोग सामुदायिक अस्पताल का मामला बताया जा रहा है.

आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले दो महीने में अपरिपक्व गर्भअवस्था में गर्भपात का आंकड़ा 20 से भी ज्यादा पहुँच गया है. चिकित्सकों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर मामलो में टोक्सो नामक बीमारी के लक्षण मिला है. गर्भ ठहरने के तीन माह के भीतर इसकी जांच कर उपचार करने से दवा से ठीक हो जाता है, लेकिन यहां स्थानीय स्तर पर इस जांच की व्यवस्था नहीं होने से माताएं गर्भपात की शिकार हो रही हैं. बेहाल महतारी प्रांगड़ में दर्द से कराहती रहीं, एक इंजेक्शन के बाद दूसरी दवा के ढूंढते तक सवा घण्टे का समय बीत गया. फिर एक घण्टे रेफर कराने में लगा.

इस सवा दो घण्टे कमला बाई सीएचसी के मुख्य द्वार में दर्द से तड़पती रही, वोल्टेज कम होने के कारण वार्डो के पंखे केवल घूम रहे थे. मौजूद चिकित्सक दूसरे गर्भवती को ठीक करने में पीएनसी वार्ड में डटे रहे. रेफर करने और इन पीड़ितों को 102 की सुविधा तत्काल मिल जाये, इसकी व्यवस्था करने वाले कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे.

मीडिया कर्मियों ने इसकी सूचना बीएमओ को दी. जिसके बाद बीएमओ ने मौके पर पहुंचकर पीड़िता को बेड तक पहुंचाए. लेकिन तब तक गर्भपात हो चुका था. लाचारी में बाहर लेटी गर्भवती रो-रो कर अपना दर्द परिजनों को बाट रही थी.

तस्दीक के लिए परिजन निजी वाहन में गर्भवती को धर्मगड़ निजी नर्सिंग होम पहुंचाया पर उन्हें निराशा हाथ लगी. चिकित्सक के देरी  से पहुंचने व गर्भ में धक्का लगने के कारण गर्भपात हो जाना बताया जा रहा है.

 

बता दे कि यहां महतारी एक्सप्रेस और 102 वाहन की व्यवस्था तो है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण इसकी सुविधा समय पर नहीं मिल पा रही है. मोखागुड़ा कि कमला बाई के परिजनों ने 102 को कॉल किया था, पर चालक द्वारा फोन रिसीव नहीं करने का बहाना बता कर कॉलसेंटर ने फोन काट दिया. जिसके बाद गर्भवती को परिजन बाइक से लेकर सीएचसी पहुँचे थे.

परिजनों के मुताबिक यहां एक इंजेक्शन लगाने के बाद दूसरा जरूरी इंजेक्शन नहीं मिला. चिकित्सक ने परिजनों को बाहर से दवाई खरीदकर लाने के लिए बोल दिया. रात में मेडिकल स्टार्स में भी दवाई नहीं मिला. कमला के परिजन रेफर किए जाने के बाद तीन घन्टे अस्पताल में ही सरकारी वाहन का इन्तजार करते रहे. जब अस्पताल से वाहन नहीं मिला तो वे  निजी वाहन बुलाकर कमला को धर्मगढ़ ओड़िसा अस्पताल ले गए. तब तक गर्भपात हो चुका था.

मामले में बीएमओ सुनील भारती ने आवश्यक कमियों को जल्द पूरा करने के अलावा कमला बाई के मामले में लापरवाही बरतने वालों पर जिम्मेदारी तय कर नोटिस जारी करने की बात कही है.

देखिए वीडियो…

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