टीकमगढ़, मुकेश सेन। Lok sabha Election 2024 (लोकसभा चुनाव 2024) को लेकर बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है। अपने प्रतिद्वंदियों को हराने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने अब तक अपने 418 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। वहीं मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है। एमपी की टीकमगढ़ सीट में इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक को सिंह को आठवीं बार लोकसभा का टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पंकज अहिरवार को अपना प्रत्याशी बनाया है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह सीट बीजेपी का किला क्यों माना जा रहा है और कांग्रेस को इसे भेदने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ सकती है।  

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यादव, अहिरवार और कुशवाहा मतदाता प्रभावशाली

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी पहचान यहां स्थित प्रसिद्ध तीर्थ दूसरी अयोध्या कही जाने वाली राजा राम की नगरी रामराजा मंदिर ओरछा और भगवान भोलेनाथ की नगरी कुंडेश्वर धाम हैं। इस सीट पर लगातार 3 बार जीत का इतिहास रच चुके डॉ. वीरेंद्र कुमार ने इसे अपना गढ़ बना लिया है। यहां यादव, अहिरवार और कुशवाहा मतदाता राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं। अध्यात्म और व्यापार के क्षेत्र में धनी इस अंचल के राजनेता कई बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र रहे हैं।

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यहां से सांसद बनने वालों को केंद्र में मिला है बड़ा पद

टीकमगढ़ से सांसद बनने वाले कई नेता कई राज्यों सहित केंद्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा की दिग्गज नेता उमा भारती टीकमगढ़ की हैं। उनका जन्म यहां के डूंडा गांव में हुआ था। वे वर्ष 1989, 1991, 1996 और 1998 में चार बार यहां की सांसद रहीं। तब टीकमगढ़ अलग सीट नहीं बल्कि खजुराहो संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में अस्तित्व में आया।

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दो सदस्यीय व्यवस्था से हुई शुरुआत

साल 1952 के संसदीय चुनाव में टीकमगढ़ जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र, छतरपुर जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्र, दतिया और पन्ना जिलों के तीन विधानसभा क्षेत्र को शामिल कर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया था। यहां से पहली बार दो सदस्यीय व्यवस्था के तहत सामान्य प्रत्याशी के रूप में रामसहाय तिवारी और एससी प्रत्याशी के रूप में मोतीलाल मालवीय सांसद निर्वाचित हुए थे। 1952 में ही टीकमगढ़ में रहकर विंध्यवाणी और मधुकर पत्रिका का संपादन करने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के मित्र व सहयोगी पं. बनारसीदास चतुर्वेदी को राज्यसभा के लिए भेजा गया था।

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20 साल से बाहरी प्रत्याशियों को उतार रहा दोनों दल

साल 2004 में जब यह खजुराहो संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। तब दमोह के रहने वाले रामकृष्ण कुसमारिया ने भाजपा को यहां जीत दिलाई। पिछले 20 वर्षों से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां यहां पर बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतार रही है। हालांकि जीत भाजपा को ही मिल रही है, कांग्रेस अलग-अलग चेहरे वर्ष 2009 में सत्यव्रत चतुर्वेदी, 2014 में कमलेश वर्मा और वर्ष 2019 के चुनाव में किरण अहिरवार को यहां से उतार चुकी है, जबकि भाजपा बाहरी प्रत्याशी का तमगा लगा होने के बाद भी जीत रही है। डॉ. वीरेंद्र कुमार भी मूल रूप से सागर जिले से हैं।

यह अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है, जिसमें 8 विधानसभा क्षेत्र टीकमगढ़, जतारा, पृथ्वीपुर, निवाड़ी, खरगापुर, महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर शामिल है। वहीं अगर कांग्रेस प्रत्याशी की बात करें तो टीकमगढ़ लोकसभा से पंकज अहिरवार मैदान में उतारा है, जिनकी शिक्षा- बीए, एमए राजनीति शास्त्र किया है।

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इससे पहले वह एनएसयूआई के पूर्व जिला सचिव, यूथ कांग्रेस के पूर्व जिला महासचिव, पूर्व जिला अध्यक्ष अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस कमेटी और वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष और सागर संभाग प्रभारी अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस, प्रदेश प्रभारी युवा कांग्रेस मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी रहे हैं।

टीकमगढ़ जिले की वोटरों की जनसंख्या

कुल मतदाता – 16 लाख 47 हजार 399 है
– पुरुष वोटर्स 8 लाख 75 हजार 470 है
– महिला वोटर्स 7 लाख 71 हजार 900 है
– अन्य वोटर्स 29 है 

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