राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी साल में 19 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा विस्थापन का मुददा एक बार फिर जोर-शोर से उभरकर सामने आया है। भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर हरसूद पहुंचे कमलनाथ ने विस्थापितों को उचित न्याय न मिलने का आरोप लगाते हुए सरकार आने पर विस्थापितों के लिए नीति बनाने का ऐलान किया है। कमलनाथ के इस बयान पर प्रदेश में विस्थापितों को लेकर सियासत तेज है।

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बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कमलनाथ को विस्थापितों की बात करना ही नहीं चाहिए। 15 महीने की सरकार में कमलनाथ ने विस्थापितों के लिए एक भी काम किया हो तो बताएं. अब चुनाव में उन्हें सब याद आ रहा है। विस्थापितों के लिए बीजेपी सरकार ने हर संभव मदद की है।

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वहीं कांग्रेस मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने नरेंद्र सलूजा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि कमलनाथ जो कहते हैं वो करते हैं। सरकार आने पर विस्थापितों के लिए नीति लागू की जाएगी। विस्थापितों को उनका अधिकार दिया जाएगा।

बता दें कि खंडवा स्थित इंदिरा सागर बांध के निर्माण के दौरान हरसूद शहर 30 जून 2004 को पानी में डूब गया था। परियोजना से हरसूद की 22 हजार आबादी प्रभावित हुई थी। डूब में आने के ठीक पहले यहां के हजारों लोगों को खंडवा के पास छनेरा में बसाया गया था। हालांकि विस्थापित पूरा हक नहीं मिलने की बात कहते हुए लंबे समय से आंदोलन कर आ रहे हैं। राजा हर्षवर्धन की बसाई इस नगरी को एशिया का सबसे बड़ा विस्थापन माना जाता है।

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