राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन अपनी मांगों को लेकर बीते दिनों से हड़ताल पर हैं. अभी जूडा को पुलिस द्वारा धमकाने का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि अब उन्हें चिकित्सा शिक्षा संचालक की खरी-खरी भी सुननी पड़ी है. संचालक डॉ उल्का श्रीवास्तव ने जूडा को कहा कि वे विज्ञापन देकर एडमिशन के लिए नहीं बुलाया था. जूनियर डॉक्टर अपनी पसंद और मर्जी से यहां एडमिशन लिया है.

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दरअसल गुरुवार को चिकित्सा तकनीकी शिक्षा संचालक डॉ उल्का श्रीवास्तव ने जूडा के चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शन कर रहे जूडा को जमकर खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि हमने विज्ञापन देकर एडमिशन को लेकर नहीं बुलाया था, ये अपनी मर्जी और इच्छा से पीजी करने आए थे. उन्हें ऐसी जगह जाना चाहिए था जहां स्टायपेंड ज्यादा है, हमारे यहां स्टायपेंड कम है, तो उन्हें नहीं आना चाहिए था. उन्हें ऐसी जगह जाना था जहां ज्यादा है. इस दौरान डॉ उल्का ने कहा कि जब जूडा एडमिशन लेते हैं तब इन्हें पता रहता है कि कहां एडमिशन लेना है और कहां नहीं.

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बता दें कि इसके पहले जूडा की इस हड़ताल को खत्म करने के लिए सरकार पर पुलिस का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था. आरोप है कि आंदोलन खत्म करने पुलिस के द्वारा परिवार पर दबाव बनवाया जा रहा था. जूडा भोपाल के अध्यक्ष डॉ हरीश पाठक ने अपना एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि सिंगरौली स्थित उनके निवास में देर रात पुलिस अधिकारी पहुंचे और 2 घंटे तक उनके बुजुर्ग पिता से बेवजह पूछताछ की. वीडियो में पाठक का आरोप है कि पूछताछ के बाद उनके पिता ने उन्हें फोन कर वाक्ये की जानकारी दी और कहा कि पढ़ाई लिखाई छोड़ कर घर आ जाओ. आंदोलन से कुछ नहीं मिलेगा उल्टे पुलिस हमें प्रताड़ित करने में लग गई है.

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