संजय विश्वकर्मा, उमरिया. कोरोना संक्रमण काल में जहां लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं और विभिन्न समाजसेवी संस्था संगठन के लोग भी मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. ऐसे आपदाकाल में जिले के एक अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. अस्पताल में मरीज की मौत के बाद एंबुलेंस नहीं मिलने से गरीब आदिवासी परिजनों को मजबूरी में शव को मोटरसाइकिल पर ही रस्सी के सहारे बांध कर गांव ले जाना पड़ा.

घटना मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की
जानकारी के अनुसार यह शर्मसार करने वाली घटना जिले के मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है. जहां ग्राम पतौर निवासी 35 वर्षीय आदिवासी सहजन कोल पिता छोटकनी की घर में तबीयत बिगडऩे पर उपचार के यहां लाया गया था. अस्पताल में डॉक्टर नहीं थे. मरीज और परिजन बहुत देर तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे. घंटों इंतजार के बाद उपचार के अभाव में मरीज ने अस्पताल के बाहर ही तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया.

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अस्पताल ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया

दम तोडऩे के बाद भी परिजनों की परेशानी कम नहीं हुई. परिजनों ने शव ले जाने के लिए अस्पताल स्टॉफ से एंबुलेंस की मांग की. अस्पताल स्टॉफ ने एंबुलेंस देने से साफ मना कर दिया. अस्पताल स्टॅाफ के इस रवैए के बाद असहाय गरीब आदिवासी परिजन एक दूसरे का मुंह देखते रह गए. मजबूरी में शव को मोटरसाइकिल पर रस्सी से बांधकर उन्हें गांव ले जाना पड़ा. वहीं इस संबंध में अस्पताल स्टॉफ की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.

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यह व्यवस्था कब सुधरेगी

बता दें कि राज्य सरकार द्वारा गरीब मरीजों को घर से अस्पताल लाने और ले जाने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस सेवाए शुरू की है. इसी तरह गर्भवती महिलाओं के भी जननी एक्सप्रेस की सुविधा दी जाती है. सरकार की यह सुविधाएं और सेवाएं जरूरत के वक्त गरीबों को नहीं मिल पाती है यह सबसे बड़ा सवाल है. प्रदेश के किसी न किसी जिले से आए दिन यह खबरें आती रहती है कि एंबुलेंस के अभाव में मरीजों ने दम तोड़ दिया, तो कहीं रास्ते में भी महिला की डिलीवरी हो गई. पता नहीं यह व्यवस्था कब सुधरेगी.

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