कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में नगरीय निकायों में काम को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि स्वयंसेवक अधिकारी कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश के बैनर तले अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हल्ला बोलने की तैयारी का ऐलान किया गया है. 10 सितंबर तक मांगें पूरी नहीं हुईं तो चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है. ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया गया है.

संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र योगी ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि यदि 10 सितंबर तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में यह सभी कर्मचारी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने को मजबूर होंगे. प्रदेश के सभी जिलों की तरह ग्वालियर में भी भविष्य में मांगें पूरी न होने की स्थिति में विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने की शपथ लेने के कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कल 8 सितंबर की रात प्रदेश भर से नगरीय निकायों में काम करने वाले विनियमित, आउटसोर्स, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भोपाल के लिए रवाना होंगे, जहां 09 सितंबर से अंबेडकर पार्क में बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे.

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ये है पांच सूत्रीय मांगें

  • मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों में कार्यरत विनियमित कर्मचारी के रिक्त पदों पर नियमित किया जाए. जैसे उदाहरण जीवाजी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को शासन के आदेश अनुसार रिक्त पदों पर नियमित किया गया है.
  • मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी को भी विनियमित किया जाए. ठेका प्रथा समाप्त की जाए, क्योंकि ठेकेदारों के द्वारा कर्मचारियों का EPF ESIC का घोटाला किया जाता है. इससे कर्मचारियों के साथ-साथ शासन को भी आर्थिक हानि हो रही है और कर्मचारियों का शोषण हो रहा है.
  • मध्य प्रदेश में नगरी निकायों में कार्यरत मानदेय वाले कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए, जैसे सहायक पंचायत सचिव और रोजगार सचिवों को किया गया है.
  • मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों में कार्यरत नियमित कर्मचारियों की भी पदोन्नति शीघ्र अति शीघ्र करने के आदेश जारी किए जाएं.
  • मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय की भौगोलिक संरचना अनुसार सभी नगर निगम में उनके क्षेत्रफल के अनुसार पद सृजित किए जाएं.

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मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों में काम करने वाले इन सभी कर्मचारी की संख्या पर गौर किया जाए तो आंकड़ा लाखों में पहुंचता है. जिनमें आउटसोर्स और दैनिक वेतन भोगी लाखों की संख्या में है. वही विनियमित स्थाई कर्मियों की संख्या 48000 के ऊपर है. लेकिन चुनावी साल में जिस तरह इलेक्शन कमीशन के निर्देश पर प्रदेश भर में मतदाता जागरूकता अभियान और उससे जुड़ी हुई गतिविधियां संचालित हो रही है. उस बीच प्रदेश के इन कर्मचारियों द्वारा विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की तैयारी कहीं ना कहीं प्रशासन के साथ ही सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकती है.

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