मनोज अंबसष्ठ,पत्थलगांव. सरकार चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत समय-समय पर इन दावों को पूरी पोल खोल देती है.सच्चाई ये है कि आज भी छत्तीसगढ़ में कई गांव ऐसे हैं,जहां न तो सड़के हैं, न ही बिजली. जिससे कई बार लोगों को इसका परिणाम अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में अब एक और हृदयविदारक तस्वीर सामने आई है, जिसने हुकमुरानों के सारे दावों को औंधे मूंह गिरा दिया है.

दरअसल मामला है जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील का जहां एक बुजुर्ग ने सड़क न होने से इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया है. बताया गया है कि ग्राम पंचायत परसाटोली के आश्रित ग्राम गोलियाढ़ बनटोला निवासी रातूराम (65) लंबे समय से एक साथ कई बीमारियों से जूझ रहा था. जिसके कारण उसका इलाज रायगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था. बता दें कि सप्ताह पर पहले ही रातूराम डिस्चार्ज होकर घर लौटा था. लेकिन शनिवार की सुबह एक बार फिर उसकी तबियत बिगड़ गई जिसके कारण परिजनों ने बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने के लिये एक निजी वाहन किराए पर बुलाया था.

लेकिन सड़क के अभाव के कारण वाहन गांव तक नहीं पहुंचा सका,इसके चलते मजबूह परिजनों को खाट में लिटाकर ही रातूराम को ढाई किलोमीटर का का सफर तय कर मुख्य मार्ग तक पहुंचे सके. इस दौरान पूरे एक घंटे का समय लग गया. और बुजुर्ग को किसी तरह से कोतबा अस्पताल लाया गया. जहां चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद रातू राम को मृत घोषित कर दिया.

सड़क होने पर बचाया जा सकता था…

इसके बाद परिजनों में काफी गुस्सा है, उन्होंने साफ कहा कि यदि यहां सड़क होती तो रातूराम को बचाया जा सकता था.मृतक के पुत्र तिलक मिरी ने कहा कि सड़क की कमी गांव के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. दर्जनों आवेदन देने के बाद भी अब तक कोई बात नहीं बनी है. तिलक मिरी ने बताया कि ग्राम बनटोला लगभग 70 साल पूर्व आबाद हुआ था. 200 से अधिक आबादी वाले इस गांव में सड़क के साथ बिजली और पानी की सुविधा भी सिरे से नदारद है.

ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी सड़क के ना होने से हो रही है. कोतबा-गंझियाडीह-पᆬरसाबहार मार्ग पर यह गांव पत्थलगांव और परसाबहार विकासखंड की सीमा पर स्थित है. बनटोली से कोतबा मुख्य मार्ग तक लगभग तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. गांव तक पहुंचने के लिए एक पहाड़ी नाला को पार करने के साथ पगडंडी से होकर गुजरना पड़ता है. उसने बताया कि यहां के ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी बारिश के मौसम में  ही होती है. इस दौरान रास्ते में पड़ने वाला यह पहाड़ी नाला सबसे बड़ी बाधा सबित होती है. पहाड़ों से तेजी से पानी उतरने के कारण कई बार इस नाले को पार करना मुश्किल हो जाता है.

इलाज के अभाव में गर्भवती महिला ने तोड़ा था दम…

तिलक ने बताया कि बारिश के दिनों में तो गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो जाता है.यहां के निवासी पूरी तरह से भगवान के भरोसे रहते हैं. आपात स्थिति में न तो इन तक चिकित्सकीय मदद पहुंच पाती है और न ही प्रशासनिक अधिकारी.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले इस गांव में दो गर्भवती महिलाओं ने भी इलाज के अभाव में इसी तरह दम तोड़ा था

ऐसे में जब शनिवार की सुबह रातू राम की तबियत बिगड़ी तो तिलक मिरी सहित तमाम ग्रामीणों को इन्हीं कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. किसी तरह अस्पताल तक पहुंचने के लिए वाहन की व्यवस्था तो परिजनों ने कर ली थी. रातू राम को खटिया को उलटा कर इसे कांवर का रूप देकर तिलक और ग्रामीणों ने कंधे में लाद कर मुख्य सड़क तक तो पहुंचाया. लेकिन अस्पताल तक पहुंचने में हुए विलंब की वजह से रातू राम को बचाया नहीं जा सका है.