(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

इंतजार करते रहे विधायकों को नहीं आया कॉल

कांग्रेस में टूट की खबरों के बीच कांग्रेस विचारधारा समर्पित विधायक इस बात से चिंतित नजर आए की कांग्रेस के किसी बड़े नेता का उनके पास फोन नहीं आया। सुबह से शाम बीत जाने के बावजूद किसी कांग्रेस के बड़े लीडर का फोन नहीं आया इसके बाद विधायकों के मन पीड़ा जुबा पर आ गई। अपने समर्थकों से कहते सुनाई दिए जब टूट की खबरें चल रही है तो पार्टी को एकजुट करने के लिए बड़े नेताओं को विधायकों को फोन लगाना चाहिए लेकिन नेताओं को कोई चिंता नहीं है।

हेलो…..बीजेपी में क्या होगा अपना भविष्य

कमलनाथ की बीजेपी में शामिल होने की अटकलें के बीच, कमलनाथ समर्थक नेता एक दूसरे को फोन घनघना रहे हैं। खासकर विधायकों की चिंता बढ़ गई है, जिनका भविष्य कमलनाथ से टिका हुआ है। नेता और विधायक एक दूसरे को फोन लगाकर इसी बात पर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर करना क्या है। एक विधायक जी जो महाकौशल से आते हैं उनका कहना हम तो बीच समंदर में फंस गए हैं। कमलनाथ सक्रिय राजनीति में कितने दिन रहेंगे कह नहीं सकते और दूसरा नकुलनाथ अगले 5 साल बाद हमारे लिए टिकट के लिए बीजेपी में रहते हुए कितना लड़ेंगे ये भी बड़ा सवाल है। इन्हीं सबकों सोच सोचकर विधायक दिन रात काट रहे हैं।

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छोटे भैया को हल्के में ले लिया था मंत्रीजी ने

विधानसभा चुनाव के दौरान विधायकजी को दोबारा टिकट दिलवाने की तैयारी में छोटे भैया ने जी-तोड़ मेहनत की। टिकट मिला तो जिताने के लिए छोटे भैया जी-जान से जुट गए। विधायकजी को छोटे भैया की जमीनी पकड़ का आभाष तब हुआ जब उस क्षेत्र से मिलने वाले वोटों का आंकड़ा सबसे अधिक रहा। हालांकि इसके बाद भी विधायकजी ने छोटे भैया को गंभीरता से नहीं लिया। मंत्रिमंडल की बारी आई तो उपर तक हवा बनने के बाद जब विधायकजी का नाम कटने लगा तो छोटे भैया ने बीटो लगाकर मंत्री बनवा दिया। विधायकजी को छोटे भैया के कद का ज्ञान ही हुआ था कि एक के बाद एक बड़े हाउस पहुंचने वाले अफसरों का भी छोटे भैया से मेल-मुलाकातों का दौर जारी है। यह देख विधायकजी छोटे भैया के कद को लेकर अचरज में हैं।

तत्काल प्रभाव से हैरान रह गए महोदय

माजरा राजधानी भोपाल के नगरीय निकाय का है। यहां दूसरी कतार में लंबे समय से कामकाज देख रहे अफसर लोकसभा चुनाव से पहले कई फाइलें चला बैठे थे। उन्होंने फाइलें मंजूर कराने की गारंटी भी ले रखी थी। महोदय को भरोसा था कि जिनकी दम पर उन्हें कुर्सी मिली है, उन भैया का जलजला अभी भी कायम है और इसका लाभ उन्हें लंबी पारी खेलने में मिलेगा। फिर क्या था आचार संहिता से पहले की उन्होंने कई गारंटी ले रखी थीं। महोदय अपनी कुर्सी पर बैठकर काम-काज निपटा रहे थे कि मोबाइल में तबादले का आदेश मिल गया। यह जानकर वो हैरान रह गए कि आदेश में तत्काल प्रभाव का जिक्र था। अब लोगों की दी गई गारंटियां पूरी करने के लिए नई जुगत में जुटे हुए हैं।

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आवास आवंटन की बड़ी चिंता है

किस-किस विधायक को आवास आवंटित हो गया है, कौन-कौन बचा है और सबसे अहम ये कि किस विधायक को कहां आवास मिला है। मध्य प्रदेश की प्रमुख राजनैतिक पार्टी के नेताजी को इस बात की काफी चिंता सताए रखी। विधानसभा चली तो विधायकों से नेताजी का मेल-मिलाप भी हुआ। इस दौरान नेताजी ने महिला विधायकों के आवास आवंटन की जानकारी एकत्रित करने में काफी अधिक दिलचस्पी दिखाई। नेताजी विधायकों से आवास आवंटन की जानकारी लेने के साथ आवास का पता-ठिकाना पूछते-समझते नजर आए। विधायकों के बीच यह चर्चा जोरों से चलती रही कि नेताजी को आवास आवंटन की बड़ी चिंता है।

सांसदी के मुगालते हो गए दूर

उच्च सदन के लिए पढ़े-लिखे होने के साथ बुदधीजीवी होना जरूरी है। सबको यह मूलमंत्र दे रहे नेताजी ने न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई पर अधिक फोकस किया। बल्कि उपर तक गुड रिलेशन भी मैंटेन किए। महोदय को उम्मीद थी कि उनका यह आभामंडल पार्टी को रास आ ही जाएगा और उच्च सदन में स्थान मिलेगा। जब चार उम्मीदवारों की सूची जारी हुई तो नेताजी सकते में रह गए। फिलहाल नेताजी मानकर बैठ गए हैं कि 29 उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम तो दूर की बात है, पैनल में चलना ही संभव नहीं दिख रहा है।

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… जैसे ये ही रामजी से मिलवा रहे हों

सामाजिक लोगों को ट्रेन से प्रभुश्री राम के दर्शन कराने की योजना तैयार हुई तो, कार्यक्रमों में गले में दुपट्टा डालकर आने वाले नेताजी ने खुद ही आधी बोगी भरने का ठेका ले लिया। न उच्च स्तर पर कोई चर्चा की और न ही प्लानिंग और अपनी मित्र-मंडली के साथ सगे-संबंधियों को अयोध्या चलने का निमंत्रण दे बैठे। मित्र-मंडली आश्वस्त थी कि नेताजी ने कुछ प्लानिंग के तहत ही कहा होगा और सबने अपने आधार कार्ड नेताजी को सौंप दिए। ऐन मौके तक नेताजी आश्वासन देते रहे कि आपका नंबर आएगा…आपका नंबर आएगा। अब ट्रेन छूटने के बाद नेताजी सगे-संबंधियों का काॅल भी रिसीव नहीं कर रहे हैं।

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