सुधीर दंडोतिया

(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

मॉनिटर भी अमित शाह की प्लानिंग का हिस्सा होगा

विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर तैयार हो रही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्लानिंग का हर कोई कायल हो रहा है. अमित शाह के दौरे को लेकर पिछले दिनों बीजेपी प्रदेश कार्यालय में बैठक हुई तो बैठक के बाहर बैठे नेताजी ने अमित शाह की भविष्य की प्लानिंग पर चर्चा छेड़ दी. बातों ही बातों में नेताजी कह बैठे कि प्लानिंग तो इस तरह की गई है कि स्कूलों में क्लास का मॉनिटर भी अमित शाह की रणनीति का हिस्सा होगा. नेताजी के इन शब्दों के बाद जमकर ठहाके लगे.

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मानवाधिकार आयोग देरी से पहुंचे नेताजी

एनजीटी के निर्देश पर राजधानी में बड़ी कार्रवाई हुई. लोगों ने विरोध किया. मौके पर कांग्रेस के एक बड़े नेता मौके पर पहुंचे और लोगों के साथ आवाज बुलंद की, लेकिन प्रशासन के आगे उनकी एक न चल सकी. दूसरे दिन फिर प्रशासन की कार्रवाई चली. बारी तीसरे दिन की आई तो नेताजी ने मानवाधिकार आयोग की ओर रुख किया. इस बीच प्रशासन आधी मुहिम समाप्त कर चुका था. कार्रवाई के बीच मौके पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मी यह चर्चा करते हुए नजर आए कि नेताजी ने मानवाधिकार आयोग जाने में देरी कर दी.

पटवारी मैडम पावर में हैं

वाक्या भोपाल लोकसभा में आने वाले एक पटवारी हल्का नंबर का है. विपक्षी दल के एक बड़े नेता अचानक पटवारी मैडम से खिन्न हो गए. फिर क्या था नेताजी ने अपना प्रभाव दिखाते हुए पटवारी मेडम को देख लेने के साथ बदली करवाने की चेतावनी दे डाली. मेडल ने मौके पर ही नेताजी की चेतावनी को हल्के में लिया. नेताजी ऊपर तक पहुंचते उससे पहले ही मैडम पहुंच गईं. शिकायत विपक्षी दल का मैडम को लाभ मिला. अब लाख कोशिश के बाद भी नेताजी पटवारी मैडम की बदली नहीं करवा पा रहे हैं.

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दिन तो अपने भी थे

हुकूमत बदलने के साथ अफसरशाही के भी दिन बदल जाते हैं. कुछ अफसरों के दिन अच्छे आ जाते हैं तो कुछ के बुरे दौर में. मध्य प्रदेश के एक प्रमोटी आईएएस इस बदलाव को बहुत करीब से महसूस कर रहे हैं. महोदय को अपने पुराने दिन रह-रहकर नजर आ रहे हैं, क्योंकि समूचे प्रशासन में उनकी तू-तू जो बोला करती थी. एक शादी-समारोह में पुराने साथियों से मुलाकात हुई तो साहब के मुंह से निकल ही गया… दिन तो अपने ही थे। 

चुनाव हारे तो मान बैठे किसान नेता

पहली बार विधायक बनते ही कमलनाथ सरकार में पावर नेता के रूप में उभरे युवा नेता अब अपने आप को किसान नेता मान बैठे हैं. नेताजी पहले हर मुद्दे पर मुखर हो जाया करते थे. लेकिन चुनाव हारने के बाद अब सिर्फ किसानों के मुददों पर बयानबाजी जारी करते हैं. दरअसल नेताजी का मानना है कि उनकी हार का बड़ा कारण किसान हैं. ऐसे में आगे के समीकरण साधने के लिए किसान नेता की छवि बनाना बेहद जरूरी है. ऐसे में नेताजी किसानों के अलावा अन्य मुद्दों से किनारा सा कर बैठे हैं

कमलनाथ के बिन बुलाए ‘बाराती’

कमलनाथ के बीजेपी में जाने के अटकलों के दौरान कई नेता ऐसे थे जो बिन बुलाए बाराती बन गए और दिल्ली पहुंच गए….इन नेताओं को न तो फोन लगाया गया था न ही किसी ने बोला आप दिल्ली आओ. इसमें ज्यादातर वो नेता थे जो पिछला विधानसभा चुनाव हारे है। जब एक पूर्व विधायक दिल्ली पहुंचे उसी दौरान एमपी कांग्रेस के एक बड़े नेता ने उन्हें फोन लगाया और पूछा दिल्ली किसने फोन कर बुलाया. उधर से पूर्व विधायक बोले किसी ने नहीं,नेताजी बोले फिर क्यों गए हो उधर तो पूर्व माननीय बोले सोच रहा था मैं पीछे न रह जाऊं इसलिए दिल्ली आ गया। 

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