रायपुर. मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि इंडीयन नैशनल कांग्रेस की दलित राजनीति की स्टंटबाजी कोई नई नहीं है. उनके अध्यक्ष ने 2004, 2009 और 2014 में भी चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश और कई राज्यों में जाकर दलितों के घर खाना खाने का ढोंग किया है और चुनाव के बाद नजर नहीं आए. इस वर्ष भी वही कर रहे हैं.

अमित ने कहा कि जिसे उन्होंने छत्तीसगढ़ का प्रभार सौंपा है, उसने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के अध्यक्ष रहते हुए “सतनामी” समाज के लोगों को “चमार” की श्रेणी में रखकर प्रदेश के दलितों को अपमानित किया है. राहुल को राजघाट नहीं बल्कि दिल्ली स्थित पीएल पुनिया के निवास के बाहर अनशन पर बैठकर प्रायश्चित करना चाहिए.

अमित जोगी ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जब बाबा साहब अम्बेडकर ने क़ानून बनाने का अधिकार विधायक और सांसदों को दिया है, तो सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आगे पुनरीक्षण याचिका लगाकर भीख नहीं, बल्कि संसद सत्र के दौरान संशोधन विधेयक पारित करके क़ानून में जो कमजोरी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आयी है, उसे मिटा देना चाहिए था. ऐसा न करके प्रधानमंत्री केवल समाज को गुमराह करने का काम किया है.

जोगी ने कहा कि हक़ीक़त तो यह है कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने दलितों को केवल मुखवास समझा है. दलितों के नाम पर सालों तक पेट भर कर ख़ुद वोट बटोरे और जहां दलितों के विकास की बात आयी वहां बस मीठी-मीठी बातें कर उन्हें भ्रमित किया. जोगी ने कहा कि भाजपा और कोंग्रेस दोनों दलित राजनीति केवल वोट के लिए कर रहे हैं. आज उसी का नतीजा है कि पूरे देश में दलित भाई बहन अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतर आए हैं और इन राजनीतिक स्टंटबाजों के विरुद्ध मोर्चा खोला है.