रायपुर. प्रदेश के पहले वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव अब हमारे बीच नहीं है. 88 वर्ष  के रामचंद्र ने रात  1.30 बजे अंतिम सांसें ली. उनके न रहने से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है. बता दें कि सिंहदेव के चले जाने से ईमानदार राजनीति के एक युग का भी अंत हो गया है.

उनके चले जाने के बाद अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर रामचंद्र सिंह देव क्या थे,क्यों उन्हें एक ईमानदार नेता या कोरिया कुमार के नाम से पहचाने जाता था.तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि रामचंद्र सिंहदेव कौन थे और उनके जीवन से हर किसी को क्या प्रेरण लेनी चाहिए.

अर्जुन सिंह रहे जूनियर…

स्वच्छ राजनीति का चेहरा रहे रामचंद्र सिंहदेव का जन्म 13 फरवरी 1930 को हुआ था. इसके बाद उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रायपुर के ही राजकुमार कॉलेज से ही पूरी की. कोरिया नरेश के नाम से मशहूर रामचेंद्र इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद चले गए,जहां उन्होंने लाइफ साइंस में पीएचडी की.

इतना ही नहीं  वविश्वनाथ त्रिपाठी, एनडी तिवारी जैसे दिग्गज नेता उनके सहपाठी रहे. वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह कॉलेज में उनके जूनियर रहे थे.

आपको बता दें कि सिंहदेव में समाज के प्रति कुछ करने का जुनून बचपन से ही था. जिसकी पहली झलक तब दिखी जब उन्होंने राजधानी के डगनिया में श्रमदान करके तालाब खुदवाया. इसके बाद वे लगातार समाजसेवा से जुड़ रहे और अपने साथियों के साथ रोज 2 घण्टे तक कैदियों को शिक्षा दिया करते थे.

देशभर में हुए चर्चित…

कहते हैं कि फोटोग्राफी रामचंद्र सिंहदेव के रग-रग में बसती थी.बीते जमाने में फ़िल्म अदाकारा नरगिस के वे इतने बड़े फैन थे कि उनकी तस्वीरे लेने अक्सरवो  मुम्बई जाया करते थे. इसी बीच वो भी दौर आया जब सिंहदेव सन 1950 में नर्गिस की एक बेहतरनी फोटो खींची. जिसने बाद वे पूरे देश में चर्चित हो गए.

बताया जाता है कि उनके घरों की दिवारों पर उनकी ली गई तस्वीरें आज भी टंगी हुई हैं. इतना ही नहीं कुछ साल पहले जब नरगिस-सुनील दत्त की बेटी और कांग्रेसी नेत्री प्रिया दत्त जब छत्तीसगढ़ के दौरे पर आई थी, तब उन्होंने नरगिस की खुद की खींची एक पुरानी तस्वीर उन्हें भेंट किया था. रामचंद्र को फोटोग्राफी के अलावा फिल्म निर्माण का सौख था. जिसके कारण उन्होंने मशहूर फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ 2 सालों तक लघु फ़िल्म निर्माण का भी काम किया था. इसके अलावा उन्हे लंडन में फोटोग्राफी के लिए गोल्ड मेडल भी मिल चुका था.

राजनैतिक जीवन…

राजनीति के अपराजेय योद्धा रहे रांमचंद्र ने पहली बार सन 1967 में चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कुल मत 40135 पड़े. जिसमें उन्हे 35867 रिकॉर्ड वोट मिले थे. इसके बाद उनका राजनैतिक जीवन भी इतनी तेज से बढ़ता चला गया कि वो लगातार जीतत रहे.

इसके बाद अभिवाजित मध्यप्रदेश में वो दौर भी आया जब उन्होंने मुख्यमंत्री गोविंद नारायण मिश्रा के कार्यकाल के दौरान एक साथ रिकॉर्ड 19 बड़े विभगों का मंत्री बनाया गया था. उन्होंने इसकी जिम्मेदारी करीब 6 महीनों तक संभाली. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा भी था कि मंत्रालय के एक कमरे से निकलकर दूसरे कमरे में जाना मीटिंग लेना ये उनकी आदत का हिस्सा बन गया था.

लेकिन 1990 के समय वो समय भी आया जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया. इसके बाद क्या था सिंह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद गए. इतना ही नहीं इस चुनाव में उन्होंने खून से रंगा शर्ट लेकर प्रचार किया फिर बड़े अंतर से चुनाव जीत गए. और ये जीत का सफर लगातार वर्ष 2003 तक चलता रहा.

रांमचंद्र एक सफल नेता के अलावा एक अच्छे लेखक भी थे. बता दें कि बस्तर विकास योजना जैसी सुप्रसिद्ध किताब रांमचंद्र ने ही लिखी हैं. बता दें कि सिंहदेव द्वारा लिखी खिताबों का अनुशरण कर ही सरकार ने बस्तर विकास योजना बनाई है.

राज्य अलंकरण सम्मान…

आपको बता दें कि स्कूल में आज दिए जाने वाला मिड डे मील के पीछ रामचंद्र के पिता का महत्वपूर्ण योगदान है. डॉ. रांमचंद्र सिंहदेव एक ऐसे नेता थे. जिसने ना केवल उनकी पार्टी के लोग प्रभावित थे,बल्कि विपक्ष के नेता भी उनसे खासा प्रभावित रहते थे. ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में लघु सिंचाई विस्तार में उनके योगदान के लिए भी उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.प्रदेश के पहले वित्त मंत्री रहे सिंहदेव को वर्ष 2015 में पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.