भोपाल। पवित्र माह रमजान की शुरुआत 2 मार्च (रविवार) से हो चुकी है। इस महीने में मुस्लिम समाज रोजा रखते है और मस्जिदों में इबादत, कुरान पाक की तिलावत करते है। ऐसे में हम आपको एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद के बारे में बताने जा रहे है। यह दोनों ही मस्जिदे मध्य प्रदेश में स्थित है।

रमजान के महीने में मस्जिदों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। यूं तो भारत में कई फेमस मस्जिद हैं, लेकिन हम बात कर रहे है एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद की। यह कहीं और नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है।

एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद

भोपाल की ताज-उल-मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद में दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं। रमजान के महीने में यहां बड़ी संख्या में मुसलमान सामूहिक प्रार्थना के लिए पहुंचे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मस्जिद में एक साथ लाखों लोग नमाज पढ़ सकते हैं।

राजा ने नहीं बल्कि बेगम ने कराया था निर्माण

इस मस्जिद का निर्माण किसी राजा ने नहीं बल्कि बेगम ने कराया था। बताया जाता है कि भोपाल के शासक बहादुर शाह जफर की पत्नी सिकंदर बेगम ने ताज उल मस्जिद को बनाने का सपना देखा था। लेकिन उस समय पैसों की कमी के चलते निर्माण नहीं करवा सकी थी। फिर उनकी बेटी शाहजहां बेगम ने 1901 में मस्जिद का निर्माण कर सपना पूरा किया था। हालांकि 1985 में मौलाना सैयद हशमत अली साहब ने मस्जिद का पूरा निर्माण कराया था।

ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद

भोपाल में ही एशिया की सबसे छोटी मस्जिद है। इस मस्जिद का नाम ‘ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद’ है। बताया जाता है कि इसका निर्माण 300 साल पहले हुआ था। मस्जिद के अंदर के एरिया की बात करे तो यह 16 वर्ग मीटर में है। जो गांधी मेडिकल कॉलेज के बगल में फतेहगढ़ किले के ऊपर बनी हुई है।

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