सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर. ये तस्वीर है छत्तीसगढ़ की राजधानी स्मार्ट सिटी रायपुर के बस स्टैंड की. ऐसा बस स्टैंड जहां यात्री जाने से कतराते हैं, आलम यह है कि यात्री इसे प्रदेश के लिए शर्म करार देते हैं. लेकिन इन सबसे निगम प्रशासन बेरपवाह है, जिस पर बस स्टैंड के देख-रेख की जिम्मेदारी है.

राजधानी रायपुर का एकमात्र बस स्टैंड इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है, यहां से हर रोज करीब एक हजार से ज्यादा बसों का आना-जाना होता है, और हर दिन करीब 30 हज़ार यात्री इसी बस स्टैंड से सफर करते हैं. इसके बावजूद शासन-प्रशासन का ध्यान इस बस स्टैंड की बदहाली की ओर नहीं जाता. बस स्टैंड परिसर में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे, कचरे के ढेर, गंदगी और बदबू से लोग परेशान रहते हैं. यातायात महासंघ के महासचिव शफीक रजा के मुताबिक बस स्टेंड शुरू से ही अव्यवस्थाओं की मार झेल रहा है.

यात्रियों के लिए बसों का ही सहारा

दरअसल, छत्तीसगढ़ में अभी भी पूरी तरह से रेल सेवा का विस्तार नहीं हुआ है. लिहाजा, लोगों के आने-जाने के लिए बस का ही सहारा है, ऐसे में यात्रियों को सुविधायुक्त बस स्टैंड और यात्री प्रतीक्षालय के हकदार हैं, लेकिन यहां स्थिति बिल्कुल विपरीत है. बस स्टैंड में न तो पीने के लिए साफ पानी है, और न यात्री प्रतीक्षालय में बैठने के लिए जगह. तीन पंखे लटके तो हैं लेकिन सालों से बिगड़े. मजबूरी में लोगों को ठेले-खोमचे के शेड में शरण लेनी पड़ रही है.

प्रदेश के लिए शर्मनाक बता रहे

गदंगी का आलम ऐसा है कि जिस बस स्टैंड से रोजाना करीबन 30 हजार यात्री सफर करते हैं, उस स्टेशन के अंदर अब वे जाना पसंद नहीं करते. स्टैंड के हालात को यात्री छत्तीसगढ़ के लिए शर्मनाक बता रहे हैं, तो वहीं यात्रियों को सुविधाएं देने के बजाय जिम्मेदार हाईटेक बस स्टैंड बनाने की बात कर रहे हैं. बस स्टैंड में हर तरफ से बदबू आती है, जिससे यहां आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पाइप है लेकिन पानी नहीं आता

बस अड्डे में ऐसी एक भी सुविधा है, जिस पर यात्री भरोसा कर सकें. कहने के लिए यहां से सरकार को लाखों का राजस्व जाता है, और सरकार की ओर से इसके रख-रखाव के लिए टेंडर भी जारी किया जाता है, लेकिन यह महज खानापूर्ति के लिए ही होता दिख रहा है. बस अड्डे में पानी की सुविधा मुहैया कराने के लिए बिछाए गए पाइप से एक बूंद पानी बाहर नहीं आता है. वहीं दूसरी ओर स्टैंड में शौचालय की हालत कुछ ऐसी है कि लोग खुले में शौच करने पर मजबूर हैं.

यह है यात्रियों का खुला वॉशरुम

स्वागत कक्ष के नाम पर यात्रियों से मजाक

यात्री स्वागत कक्ष के नाम पर भी यहां मजाक किया जा रहा है. कक्ष में केवल बसों के टायर और गाड़ी नजर आते हैं. रही-सही कसर असामाजिक तत्व पूरा कर देते हैं, जिनका दिनभर जमावड़ा बना रहता है. चारों तरफ शराब की खाली बोतलें दिखाई पड़ती हैं. आलम यह है कि लोग सड़क किनारे बैठकर बसों का इंतजार करते हैं.