कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट में से एक जबलपुर लोक सभा जो अपनी गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जानी जाती है। जबलपुर लोकसभा सीट जो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले 3 दशक से यहां पर बीजेपी का कब्जा है। जबलपुर में कांग्रेस का किला ध्वस्त करने में सबसे बड़ा रोल शरद यादव का ही रहा है। जबलपुर से कांग्रेस को पहली बार यदि किसी ने हराया था तो वह थे 27 साल के शरद यादव।

18 जून 1974 को सेठ गोविंद दास के अचानक निधन के बाद जबलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। जिसमें 27 साल के युवा नेता शरद यादव ने कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा दिया और भारतीय लोकदल की टिकट से उपचुनाव जीत कर संसद में एंट्री मारी। 70 के दशक में जेपी आंदोलन अपने चरम पर था, जयप्रकाश नारायण देश के जन नायक कहलाने लगे और उन्हीं ने 27 साल के शरद यादव पर दांव लगाया और शरद यादव को जबलपुर से अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया।

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कांग्रेस के किले को किया फतह

जयप्रकाश नारायण का यह दांव सफल हुआ और शरद यादव भारी मतों से जीतकर दिल्ली पहुंचे। इसके साथ ही उन्होंने पिछले 30 साल के कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाने वाले जबलपुर में यह बता दिया कि अब कांग्रेस का रास्ता आसान नहीं है। 1974 में भारतीय लोक दल की टिकट से जीत के बाद दोबारा जब 1977 में जबलपुर लोकसभा सीट पर चुनाव हुए तो जनता पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। शरद यादव ने भी उस भरोसे को कायम रखते हुए एक बार फिर से जीत हासिल कर यह बता दिया की जय नारायण प्रकाश का उन पर लिया गया फैसला कहीं से भी गलत नहीं था।

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24 साल से कांग्रेस का सूखा

शरद यादव की जीत के बाद फिर कभी कांग्रेस ने वैसी वापसी नहीं की जैसे पहले कभी कांग्रेस जीता करती थी। शरद यादव के कांग्रेस का किला ढहाने के बाद जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस दो बार ही जीत पाई और उसके बाद तो 24 साल से कांग्रेस जबलपुर सीट पर सूखा झेल रही है।

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दूसरी बार जेल में रहकर चुनाव जीते थे शरद यादव

आपको बता दें कि 1974 में जब जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस सांसद सेठ गोविंद दास के निधन के बाद बाय इलेक्शन हुए तो यह चुनाव लोहिया के करीबी माने जाने वाले शरद यादव पर दांव लगाया गया। शरद यादव का भी जलवा था कि उन्होंने जेल में रहते हुए उपचुनाव जीता था। 1977 में देश से आपातकाल हटने के बाद देश में चुनाव हुए तो जनता पार्टी ने शरद यादव पर दांव लगाया और शरद यादव दोबारा चुनाव जीतकर आए।

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जबलपुर से छात्र राजनीति के रूप में की थी शुरुआत

शरद यादव ने अपने राजनीति की शुरुआत जबलपुर में रहते हुए छात्र पॉलिटिक्स से शुरू की थी। छात्र नेता के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई थी। शरद यादव पहली बार जबलपुर से ही सांसद निर्वाचित हुए थे। जबलपुर के मालवीय चौक से छात्र राजनीति का आगाज करने वाले यादव ने देश की संसद तक परचम फहराया।

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तेजतर्रार जननेताओं में गिनती

वे हमेशा पक्ष और विपक्ष दोनों के चहेते रहे। देश की सियासत में उनकी गिनती तेजतर्रार जननेताओं में थी। होशंगाबाद के रहने वाले शरद यादव ने जबलपुर स्थित साइंस कॉलेज से बीएससी और इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर की डिग्री हासिल की थी। इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने छात्र राजनीति की शुरुआत की थी।

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